वॉशिंगटन, 04 दिसंबर: हिंदुस्तान के वज़ीर ए आज़म के ओहदे के दावेदार माने जा रहे गुजरात के वज़ीर ए आला नरेन्द्र मोदी को करारा झटका लगा है। 25 अमेरिकी लॉमेकर्स ने अमेरिका की वज़ीर ए खारजा हिलेरी क्लिंटन को खत लिखकर मोदी को वीजा न दिए जाने की अपील की है। उनका मानना है कि मोदी की हुकूमत ने 2002 दंगे के मुतास्सिरों के साथ इंसाफ नहीं किया।
उन्होंने खत में लिखा,’मोदी एक ऊंचे ओहदे के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। हमारा मानना है कि अगर वीजा पॉलिसी में बदलाव लाने की मोदी की गुजारिश को मान लिया जाता है, तो मोदी और उनकी हुकूमत की गलत पालीसीयों को ताकत मिलेगा। वह इस मामले में जारी जांच में रुकावट डालेंगे और इंसाफ होने में देर होगी।’ यह खत अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के 25 मेम्बरो ने मिलकर हिलेरी को सौंपा।
इस खत को रिपब्लिकन कांग्रेसी जो पिट्स और फ्रैंक वॉल्फ ने प्रेस के सामने रखा। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुजरात दंगे के मुतास्सिरों के घर वाले भी मौजूद थे। उन्होंने कहा,’हिंदुस्तान एक तरक्की की ओर बढ़ता एक जम्हूरी मुल्क है । यह तशवीशनाक बात है कि हिंदुस्तान की कुछ पार्टियां मोदी को बहुत ऊंचे ओहदे का दावेदार बनाने के लिए कोशिश कर रहे हैं, जबकि वो जानते हैं कि गुजरात दंगों से उनका सरोकार है। उन्हें अमेरिका आने की इज़ाज़त देना इस अपराध (Misdeed) के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी से हाथ खींचने की शह देने के बराबर होगा।’
इस खत में तहरीर किया गया है कि हिंदुस्तान की गैर-सरकारी इदारों ने दावा किया है कि नरेंद्र मोदी और उनकी हुकूमत ने दंगाइयों की मदद की। ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी जांच के बाद माना है कि रीयासत की बीजेपी हुकूमत व गुजरात पुलिस ने अक्लीयतों कम्यूनिटी के खिलाफ हुए दंगों मे साथ दिया।
पहले भी, अमेरिका के स्टेट महकमा ने मोदी को इंटरनैशनल रिलीजियस फ्रीडम एक्ट के तहत मोदी को अमेरिका आने का वीजा देने से इनकार कर दिया था। अमेरिकी लॉ-मेकर्स की मांग है कि जब तक गुजरात दंगों पर फैसला न आ जाए, तब तक मोदी को वीजा न दिया जाए।