मोदी को लड़की भाई, शक हुआ तो पुलिस लगाई

गुजरात के वजीर-ए-आला नरेन्द्र मोदी एक आशिक मिजाज इंसान निकले, बीजेपी के कई दूसरे चीफ मिनिस्टरों की तरह वह भी सरकारी खर्चे पर ही इश्क करते हैं। एक खूबसूरत आर्कीटेक्ट लड़की पर नरेन्द्र मोदी इतने फिदा हो गए कि उन्होंने उसके भाइयों की कंपनी को हजारों करोड़ो का काम दे दिया।

उस लड़की को उन्होंने ‘रन आफ कच्छ’ के जश्न के दौरान गुजरात की मशहूर मिठाई ‘दूधपौव्वा’ खिलाया जिसके लिए साढ़े बारह हजार का बिल सरकारी खजाने से अदा किया गया। कुछ दिनों बाद नरेन्द्र मोदी को यह मालूम हुआ कि भुज के उनके एक पुराने जानने वाले प्राणलाल सोनी की बेटी के उनके इलावा गुजरात के एक आई.ए.एस. अफसर (शायद प्रदीप शर्मा) के साथ भी करीबी रिश्ते कायम हो गए हैं तो मोदी ने अपने वजीर अमित शाह से कहकर उस लड़की की जासूसी करने के लिए दहशतगर्दी मुखालिफ फोर्स (ए.टी.एस.) समेत पुलिस की कई तंजीमों को उस लड़की की जासूसी में लगवा दिया और प्रदीप शर्मा नाम के जिस आई.ए.एस. पर उनको शक था, उस शर्मा पर ताबड़तोड़ कई मुकदमे लिखवा कर उन्हें जेल भिजवा दिया।

यह बातें प्रदीप शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में बाकायदा हलफनामा दायर करके बताई है और गुजरात असेम्बली में कांग्रेस के लीडर आफ अपोजीशन रहे शक्ति सिंह गोहिल ने 22 नवम्बर को बाकायदा प्रेस कांफ्रेन्स करके मोदी के इस नाकाम इश्क का खुलासा किया।

गोहिल ने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी इस मामले में सफाई दे, उनकी किसी सफाई के बाद ही गोहिल इस मामले से मुताल्लिक कई अहम दस्तावेज जारी करेंगे। गोहिल के इस बयान और सुप्रीम कोर्ट में प्रदीप शर्मा के हलफनामे के बाद नरेन्द्र मोदी और उनके कहने पर लड़की के खिलाफ पुलिस लगवाने वाले अमित शाह को जैसे सांप ही सूंघ गया। हर मामले पर लफ्फाजी करने वाले नरेन्द्र मोदी इस मसले पर एक लफ्ज़ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

अपनी इस हरकत पर पर्दा डालने के लिए नरेन्द्र मोदी ने दो मेम्बरान की एक कमेटी भी बनवा दी, जिसकी रिटायर जस्टिस सुगना बेन भट्ट चेयरपर्सन है और दूसरे मेम्बर एक रिटायर्ड आई.ए.एस. के.सी. कपूर को शामिल किया गया है। के.सी. कपूर गुजरात के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी और चीफ इलेक्शन अफसर भी रह चुके हैं। मतलब यह कि मोदी ही मुल्जिम, मोदी ही गवाह और मोदी ही मुन्सिफ।

इस तरह इस मामले से गुजरात की हुकूमत निपटेगी।

प्रदीप शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में बाकायदा एक हलफ नामा दाखिल करके अदालत से दरख्वास्त की है कि इस गैर कानूनी जासूसी केस की सीबीआई के जरिए तहकीकात कराई जाए। कांग्रेस लीडर अर्जुन मोडवाडिया ने मोदी हुकूमत की जानिब से तय किए गए दो रूक्नी तहकीकाती कमीशन को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस कमीशन में शामिल दोनो मेम्बरान मोदी के नजदीकी हैं। वह मोदी की ही लिखवाई हुई रिपोर्ट को ही दस्तखत करके जमा कर देंगे। इससे पहले भी जब मोदी पर बेईमानी के इल्जामात लगे थे तो उन्होंने अपने एक नजदीकी रिटायर्ड जज एम.बी. शाह कमीशन बनाकर शाह से अपने हक में क्लीन चिट हासिल कर ली थी इसलिए इस जासूसी मामले की तहकीकात सुप्रीम कोर्ट के किसी जज से करवाई जानी चाहिए।

मुल्क में इंसानी हुकूक (मानवाद्दिकार) और ख्वातीन के हक में काम करने वाली दर्जनों तंजीमों की नुमाइंदा ख्वातीन ने शबनम हाशमी की कियादत में सदर जम्हूरिया प्रणव मुखर्जी से मुलाकात करके इस संगीन मामले में दखल देने की अपील की। सदर जम्हूरिया (राष्ट्रपति) प्रणव मुखर्जी ने कहा कि वह ख्वातीन के इस मतालबे पर जरूरी कार्रवाई कराएंगे। लेकिन तरूण तेजपाल के मामले पर हंगामा करने वाली खुद को सोशल एक्टिविस्ट बताने वाली ख्वातीन ने इस मामले पर कोई धरना मुजाहिरा नहीं किया।

कांग्रेस लीडर शक्ति सिंह गोहिल, अर्जुन मोडवाडिया के इल्जामात और सुप्रीम कोर्ट में प्रदीप शर्मा की जानिब से दायर हलफनामे पर नरेन्द्र मोदी या उनकी पार्टी का कोई बड़ा लीडर जुबान खोलने के लिए तैयार नहीं, जब यह जासूसी मामला उठा था उस वक्त तो बीजेपी की दो ख्वातीन तर्जुमान निर्मला सीता रमण और मीनाक्षी लेखी ने न सिर्फ बढ़ चढ़कर मोदी के बचाव में बयानबाजी की थी बल्कि मोदी को बचाने में इन दोनो ख्वातीन ने कांग्रेस लीडर शिप के खिलाफ जिस किस्म की जुबान का इस्तेमाल किया था किसी भी तालीम याफ्ता खातून से तवक्को नहीं की जाती कि वह इस किस्म की ज़ुबान का इस्तेमाल करेगी।

लेकिन अब जब इस मामले की कई अहम मालूमात सामने आ चुकी है तो निर्मला सीतारमण और मीनाक्षी लेखी भी मोदी की हिमायत में बोलने से बच रही है। एक अकेले वेंक्यानायडू ने जरूर मोदी को बचाने के लिए एक बयान दिया लेकिन वह भी बहुत दबी जुबान में। मोदी और अमित शाह तो कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे है। लेकिन गुजरात हुकूमत की जानिब से कांग्रेस लीडरान शक्ति सिंह गोहिल और अर्जुन मोडवाडिया के दावे को खारिज करते हुए एक बयान जरूर जारी हुआ जिसमें कहा गया कि गुजरात हुकूमत ने इकिवलीब्रियम इनर्जी कम्पनी को गांधी नगर में स्मार्ट ग्रिड प्रोजेक्ट के लिए कोई अदायगी (Payment) नहीं की है। इस बयान में बड़ी चालाकी दिखाई गई और यह बात छुपा दी गई कि स्मार्ट ग्रिड का करोड़ों का ठेका इस कंपनी को दिया गया या नहीं। क्योंकि कांग्रेस लीडरान ने अपने इल्जाम में यह नहीं कहा कि उस लड़की के भाइयों की इस पावर कम्पनी को गुजरात हुकूमत ने उस लड़की और मोदी के ताल्लुकात और फिर उसकी जासूसी कराने के तनाजे को खत्म करने की गरज से समझौता फार्मूले के तहत मोदी हुकूमत ने बहुत बड़ी रकम का ठेका दे दिया, यह ठेका दिया या नहीं हुकूमत की सफाई वाले बयान में इस बात को छिपा लिया गया।

रही बात भुगतान की वह तो काम होने के बाद ही होगा। कांग्रेस लीडरान का दावा है कि पहले लड़की से गहरे ताल्लुकात कायम करने और फिर उसकी जासूसी कराने की तहकीकात सही तरह से हो गई तो मोदी का जेल जाना तय है।

इस पूरे मामले में 36 साल की वह मुताल्लिका ‘लड़की’ भी पूरी तरह खामोश है उसने न कोई बयान दिया और न ही किसी से मुलाकात की उसके वालिद प्राणलाल सोनी भुज के रहने वाले है। 2001 में आए जबरदस्त जलजले में काफी नुक्सान हो जाने की वजह से वह बैंगलोर चले गए थे।

वह जेवरात की तिजारत करते हैं। बैगलोर में ही रहकर उनकी बेटी ने आर्कीटेक्ट की तालीम हासिल की। मुअत्तल शुदा आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा ने दावा किया है कि इस लड़की को खुद उन्होंने ही 2004 में नरेन्द्र मोदी से मिलवाया था उस वक्त लड़की की उम्र 27 साल थी। एक ही मुलाकात में नरेन्द्र मोदी उस पर फिदा हो गए, उसके बाद से ही जल्दी जल्दी उनकी मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया।

बेटी के साथ ही प्राणलाल सोनी ने भी मोदी से मुलाकात की तो मोदी ने उनसे कहा कि वह बैंगलोर से वापस अपने वतन भुज आकर तिजारत करे वह (मोदी) उनकी पूरी मदद करेंगे। मोदी की इस यकीन दहानी पर प्राणलाल सोनी वापस भुज आ गए। उन्होंने नए सिरे से अपने जेवरात का धंधा शुरू किया। मोदी और उनकी हुकूमत ने प्राणलाल सोनी की ऐसी मदद की कि देखते ही देखते वह तरक्की की बुलंदियों पर पहुंच गए। उनकी जेवरात की मामूली दुकान एक बड़े शो रूम में तब्दील हो गई।

शक्ति सिंह गोहिल और अर्जुन मोडवाडिया ने भी यही इल्जाम लगाया है कि उस लड़की और नरेन्द्र मोदी के दरमियान इंतहाई नजदीकी ताल्लुकात और काबिले एतराज रिश्ते रहे हैं।

प्रदीप शर्मा के हलफनामे के मुताबिक एक डीवीडी है जिसमें उस लड़की के साथ एक मर्द को ‘कम्प्रोमाइजिंग’ हालात में देखा जा सकता है। आम ख्याल यह है कि वह मर्द नरेन्द्र मोदी है और मोदी यह समझते है कि प्रदीप शर्मा के पास उस डीवीडी की कापी है। इसीलिए नरेन्द्र मोदी ने जब प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार करके जेल भेजा तो पुलिस ने उस डीवीडी की तलाश में प्रदीप शर्मा के घर का सारा सामान और कागजात दरहम बरहम ( तहश नहश) कर डाले। लेकिन उन्हें डीवीडी नहीं मिली।

शर्मा के मुताबिक नरेन्द्र मोदी को उस लड़की पर यह शक भी हो गया था कि वह मोदी की जाती और उनकी हुकूमत की कई अहम इत्तेलाआत प्रदीप शर्मा तक पहुंचाती है। इसलिए भी मोदी ने अमित शाह से कहकर उस लड़की की जासूसी कराई। यह मामला शायद मंजरे आम पर भी न आता लेकिन एक आईपीएस अफसर जी.एल. सिंघल ने सीबीआई को कई सीडी फराहम करके बताया कि मोदी के कहने पर अमित शाह जब उस लड़की की जासूसी करा रहे थे तो वह एटीएस अफसरान और दूसरे पुलिस अफसरान को जो सख्त हिदायते देते थे वह सारी हिदायतें उन सीडीज में कैद है।

सिंघल ने यह भी बताया कि अमित शाह ने खुद उन्हे भी कई बार फोन करके जासूसी के सिलसिले में कई हिदायतें दी थी तभी उन्होंने अमित शाह की बातचीत रिकार्ड कर ली थी।

नरेन्द्र मोदी बीजेपी के पहले वजीर-ए-आला नहीं जिन्होंने किसी लड़की को फंसाने या उसके साथ इश्क करने में सरकारी खजाने का बेजा इस्तेमाल किया हो। वह अकेले नहीं है जिन्होंने किसी लड़की को ‘दूधपौव्वा’ ( मिठाई का नाम) खिलाने पर ही सरकारी खजाने का साढ़े बारह हजार रूपए खर्च कर दिया हो।

इससे पहले कर्नाटक के वजीर-ए-आला बी.एस. येदुरप्पा, मध्य प्रदेश के वजीर-ए-आला बाबू लाल गौर और उत्तर प्रदेश के वजीर-ए-आला रहे कल्याण सिंह ने भी अपनी अपनी ख्वातीन दोस्तों के लिए सरकारी पैसे का जमकर बेजा इस्तेमाल किया था। उन तीनों की तो सरकारें तक उनकी ख्वातीन दोस्तों की भेंट चढ़ गई थी।
( हिसाम सिद्दीकी)

———बशुक्रिया: जदीद मरकज़