प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में जेडीयू शामिल नहीं होने जा रही है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने साफ कर दिया गया है कि वो एनडीए में तो रहेंगे लेकिन सरकार में शामिल नहीं होंगे. कहा जा रहा है कि नीतीश मंत्रिमंडल में संतोषजनक हिस्सेदारी ना मिलने से नाराज़ हैं. ऐसी ही नाराज़गी साल 2014 में सरकार बनने पर शिवसेना के खेमे में भी देखी गई थी. वैसे जानकारों का कहना है कि जल्दी ही मंत्रिमंडल विस्तार होगा जिसमें सहयोगियों को काफी जगह मिल सकती है. बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव भी हैं, जिसे देखते हुए नीतीश की नाराज़गी के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
जेडीयू ने बिहार की 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े थे जिनमें 16 पर जीत दर्ज की. कहा जा रहा है कि ऐसे में एक मंत्री पद से पार्टी असंतुष्ट थी. इससे पहले कयास लग रहे थे कि जेडीयू के आरसीपी सिंह को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है.
नीतीश कुमार ने पहले संकेत दिया था कि केंद्र सरकार में उनकी पार्टी की भूमिका होगी लेकिन मीडिया से बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वो दिए गए प्रस्ताव से असहमत हैं लेकिन इसका मतलब नाराजगी नहीं.
इस बार बिहार में जेडीयू के 16 सांसद चुने गए हैं जिनमें बांका से जेडीयू के गिरधारी यादव, भागलपुर से अजय कुमार मंडल, गया से विजय कुमार, गोपालगंज से डॉ आलोक कुमार सुमन, जहानाबाद से चंदेश्वर प्रसाद, झंझारपुर से रामप्रीत मंडल, काराकाट से महाबली सिंह, कटिहार से दुलाल चंद्र गोस्वामी, वाल्मीकि नगर से वैद्नाथ प्रसाद महतो, सुपौल से दिलेश्वर कामैत, सीवान से कविता सिंह, सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू, पूर्णिया से संतोष कुमार, नालंदा से कौशलेंद्र कुमार, मुंगेर से ललन सिंह और मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव ने मोर्चा मारा है.