लड़की की जासूसी के मामले में बीजेपी के पीएम ओहदेदार के उम्मीदवार और गुजरात के वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं। सस्पेंडेड आईएएस प्रदीप शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि गुजरात की हुकूमत ने उस लड़की की जासूसी इसलिए कराई थी, क्योंकि गुजरात के वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी उसपर फिदा थे।
इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए प्रदीप शर्मा ने कहा है कि मोदी और उनके साथी अमित शाह ने खातून की प्राइवेसी ( Privacy) के हुकूक और इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट की खिलाफवर्जी किया है। शर्मा ने इल्ज़ाम लगाया है कि साल 2010 से 2012 के बीच उनके खिलाफ आधा दर्जन फर्जी केस लगाए गए और सस्पेंड कर दिया गया। उनका कहना है कि यह सब इसलिए किया गया, क्योंकि मोदी को शक था कि मेरे पास कोई ऐसी सीडी है, जिसमें लड़की काबिल ए ऐतराज़ हालत में है।
यह पहला मौका है जब बीजेपी के पीएम ओहदे के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर स्नूपगेट केस में सीधे-सीधे इल्ज़ाम लगे हैं। इससे पहले अमित शाह पर सीधे फंसते हुए दिख रहे थे। हालांकि अमित शाह ने जिन ‘साहेब’ के कहने पर यह जासूसी कराई थी, कयास लगाए जा रहे थे कि वह ‘साहेब’ मोदी ही हैं।
शर्मा ने इस बात को भी झूठ करार दिया है लड़की के वालिद के कहने पर मोदी हुकूमत ने उसकी जासूसी कराई थी। शर्मा ने दावा किया है कि उन्होंने ही बेंगलुरु में रह रही भुज की इस आर्किटेक्ट की मुलाकात मोदी से कराई थी। यह मुलाकात साल 2004 में उस वक्त हुई थी, जब लड़की की उम्र 27 साल थी।
शर्मा की तरफ से ऐडवोकेट सुनील फर्नांडिस की तरफ फाइल ऐप्लिकेशन में कहा गया है, ‘दरखास्तगुज़ार शर्मा को लगता है कि मोदी और वह खातून कई सालों तक राबिते में रहे। चर्चा यह भी थी कि इस खातून की कोई सीडी है, जिसमें वह किसी शख्स के साथ काबिल ऐतराज़ हालत (Offensive state) में है।’
दरखास्त में कहा गया है कि हालांकि शर्मा के पास ऐसी कोई सीडी नहीं थी, लेकिन मोदी को लगता था कि उनके पास उस सीडी के फिल्म के कुछ हिस्से/ पार्ट हैं। मोदी को डर था कि अगर यह सीडी आवामी हो गई, तो उनकी इमेज / शबिया खराब हो जाएगी। इसी शक की वजह से सजा देने के इरादे से शर्मा को कई सारे झूठे केसों में फंसा दिया।
शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दी दरखास्त में कहा है कि अमित शाह ने ‘साहेब’ के कहने पर जिस तरह से आर्किटेक्ट और मुझे सर्विलांस पर रखा था, वह न सिर्फ इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 18 दिसंबर 1996 को जारी गाइडलाइंस की भी खिलाफवर्जी है। उन्होंने मांग की है मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
———————–बशुक्रिया: नवभारत टाइम्स