सोशल साइट फेसबुक पर मुबय्यना तौर पर भड़काऊ कॉमेंट्स करने को लेकर मुश्किल में फंसीं सामाजी कारुकुन और मुसन्निफा शीबा असलम फहमी की ताईद में मुहिम शुरू हो गई है सोशल साइट्स के जरिए चलाई जा रही इस मुहिम में कहा जा रहा है कि पुलिस और अदालत ने मुतास्सिरा को मुल्ज़िम बना दिया और मुल्ज़िम को बरी कर दिया शीबा पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है और फिलहाल वह जमानत लेने की कोशिश कर रही हैं |
यह मामला दो साल पुराना है लेकिन हाल में आए अदालत के फैसले से मामले ने तूल पकड़ लिया है फेसबुक पर शीबा के पोस्ट से नाराज होकर साल 2011 में पंकज कुमार द्विवेदी ने उन्हें ईमेल के जरिए मुबय्यना तौर पर धमकी दी थी शीबा ने इसकी शिकायत दिल्ली के जामा मस्जिद थाने में की थी |
उनकी शिकायत पर पुलिस ने आईटी ऐक्ट की दफा 66(ए) के तहत मामला दर्ज कर अदालत में चार्जशीट दाखिल की अक्टूबर 2013 में मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट आर. के. पाण्डेय ने पंकज को बरी करते हुए जामा मस्जिद पुलिस थाने के एसएचओ को शीबा के खिलाफ आईपीसी की दफआत153 (ए) (मुख्तलिफ लोगो के बीच दुश्मनी पैदा करना ), 153 (बी) (कौमी इत्तेहाद को नुकसान पहुंचाना) और 295 (मज़हबी जज़्बातो को भड़काना) के तहत मामला दर्ज करने का हुक्म दिया अब दिल्ली पुलिस ने शीबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है |
अदालत ने शीबा की तरफ से सोशल मीडिया पर किए गए कॉमेंट्स की जांच करने का हुक्म दिया है , इसके इलावा कंप्लायंस और सुपरविजन के लिए हुक्मनामे की कॉपी डीसीपी (सेंट्रल) को भेजी गई है ताकि मामले में मुंसिफाना जांच हो सके |
अदालत में फरीकैन पार्टी (पंकज कुमार द्विवेदी) की ओर से वकील पंकज सिंह ने दावा किया यह केस आईटी एक्ट की 66(ए) दफा के तहत आता ही नहीं है सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल ने शिकायत करने वालों की तरफ से सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कॉमेंट्स पर अपनी मुखालिफत जताते हुए ऐसा लिखा था बचाव पार्टी ने दरखास्तगुज़ार और मुल्ज़िम के सारे कॉमेंट्स अदालत के सामने रखते हुए दलील दी कि दरखास्तगुज़ार के कॉमेंट्स जारिहाना और इश्तेआलअंगेज़ थे |
शिकायत करने वाले ने अन्ना हजारे के रामलीला मैदान पर हुए अनशन को नौटंकी, नरेंद्र मोदी को अज़ीम हिंदू लीडर साबित करने के लिए गुजरात पुलिस पर लोगों का कत्ल कराने जैसे तब्सिरा का ज़िक्र की थीं | उनके मुताबिक शीबा ने मज़हब को लेकर भी मुबय्यना तौर पर कुछ भड़काऊ कॉमेंट्स किए थे
शीबा का मौकूफ: चौंकाने वाला है फैसला
मैंने ईमेल से धमकी देने की शिकायत की थी पुलिस या अदालत ने इसे इश्तेआलअंगेज़ ज़ुबान का केस बना दिया | IPC की दफआत 153 ए, 153 बी, 295 ए में मेरे खिलाफ मामला बना दिया मेरे कॉमेंट्स और एफबी की पोस्ट भी फैसले में डाल दीं | मैंने ख्वातीन को कमजोर करने वाली करवाचौथ, रक्षा बंधन, कन्यादान की रस्म व रिवाज़ के बारे में जो भी लिखा है, उन्हें भी मेरे खिलाफ शामिल किया गया | तीन पोस्ट्स जिन्हें इस फैसले में कोट किया, वे मोदी के मामले में हैं |
मैं मुस्लिम कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ रही हूं | मोदी, नारीवादी तहरीक और हिंदुस्तानी रिवायत पर जो नजर डालने की बात की वह तो बाद की बात है लेकिन मआशरे (समाज) को बेहतर बनाने के लिए हमें सवाल तो उठाने ही होंगे | कानूनी तौर पर मेरी कोई भी पोस्ट गलत नहीं है | अगर मोदी की मुखालिफत मुल्क के मुखालिफ माना जाएगा तो उसमें मैं कुछ नहीं कर सकती |