मोदी सरकार का बिहार को झटका, ग्रीन इनर्जी कॉरिडोर में बिहार नहीं

कोयला से हटकर अत्पादित होने वाली बिजली को बढ़ावा देने की योजना में बिहार को शामिल नहीं किया गया हैं। सोलर, पवन उर्जा व पनबिजली की संभावनाओं से भरपूर इस राज्य को इसमें शामिल ना करना बिहार के लिए एक बड़ा झटका है।

नेशनल सोलर मिशन सहित अन्य योजनाओं के तहत बनने वाले ग्रीन इनर्जी काॅरिडोर में दक्षिण-पश्चिम के विकसित आठ राज्यों को ही शामिल किया गया। नेशनल सोलर मिशन के तहत केंद्र ने 2022 तक देश में 100 गिगावाट बिजली उत्पादित करने का निर्णय लिया है. इसमें 40 गिगावाट रुफटाॅप (छत के ऊपर) तो 60 गिगावाट ग्रिड आधारित बिजली का उत्पादन होगा।

एक गिगावाट में 1000 मेगावाट बिजली के अनुसार 100 गिगावाट में एक लाख मेगावाट बिजली उत्पादित होने की योजना को सफल बनाने को राज्यों की संचरण व्यवस्था दुरुस्त की जानी है। इसके तहत राज्यों के अंदर या दूसरे राज्यों में इस बिजली को भेजने के लिए जर्मनी की सहायता से केंद्र ने ट्रांसमिशन लाइन के लिए ग्रीन काॅरिडोर इनर्जी की योजना बनाई है, पर बिजली उत्पादन बढ़ाने को प्रयासरत बिहार को केंद्र ने इस योजना में शामिल नहीं किया है। न केवल बिहार बल्कि पूर्वी भारत के किसी राज्य को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है।