मोदी सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के वज़ह से माइनॉरिटी स्टेटस पर बदला स्टैंड :AMU

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को माइनॉरिटी दर्जा दिए जाने से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान एएमयू के जवाब पर केंद्र सरकार ने अपने जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से वक्त देने की मांग की और सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 हफ्ते का वक्त दे दिया है। इससे पहले एएमयू की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया है कि मौजूदा केंद्र सरकार ने इस मामले में जो स्टैंड चेंज किया है वह अलग राजनीतिक विचारधारा के कारण बदला है।

गौरतलब है कि एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को माइनॉरिटी इंस्टिट्यूशन करार नहीं देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ पिछली यूपीएस सरकार की अपील को वापस लेगी। इस संदर्भ में केंद्र सरकार की ओर से एक हलफनामा दायर किया गया है जिसमें कहा गया है कि अपील वापस लिया जाएगा। इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूनिवर्सिटी प्रशासन पहले से अर्जी दाखिल कर चुकी है।

यूपीए सरकार ने भी हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसे एनडीए सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है। सरकार ने 1967 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 1967 में अपने फैसले में कहा था कि एएमयू माइनॉरिटी संस्थान नहीं है। लेकिन 1981 में सेंट्रल ल में एक बदलाव किया गया और संस्थान को माइनॉरिटी का दर्जा दिया गया जिसे हाई कोर्ट गैर संवैधानिक ठहरा चुकी है। एनडीए सरकार का तर्क है कि वह सुप्रीम कोर्ट के 1967 के जजमेंट को मानती है और हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ पिछली सरकार द्वारा दाखिल की गई अपील को वापस ले रही है।

इसके बाद एएमयू की ओर से इस पर जवाब दाखिल किया गया है। एएमयू की ओर से कहा गया है कि मैजूदा केंद्र सरकार ने स्टैंड बदल दिया है इस मामले में स्टैंड सिर्फ इसलिए बदला है कि केंद्र में सरकार बदल गई है और अलग राजनीतिक पार्टी की अलग विचारधारा वाली सरकार है। लेकिन सरकार ऐसी बॉडी है जो निरंतर रहती है और राजनीतिक विचारधारा के आधार पर स्टैंड नहीं बदल सकती। साथ ही कहा कि अजीज पासा केस में जब जजमेंट हुआ था तब एएमयू पार्टी नहीं था। साथ ही कहा गया है कि संस्थान का फाउंडर माइनॉरिटी कम्युनिटी के थे।

इस मामले में एएमयू के जवाब के बाद केंद्र सरकार को उसपर जवाब दाखिल करना है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इस पर जवाब के लिए तीन हफ्ते का वक्त मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इसके लिए वक्त देते हुए मामले की सुनवाई टाल दी है।