हैदराबाद 28 अक्टूबर: मुसलमानों को 12% आरक्षण के मामले में केसीआर रणनीति किस हद तक सफल होगी, इस बारे में अभी से अंदेशे उभर रहे हैं। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि बीसी आयोग की सिफारिशों पर विधानसभा में प्रस्ताव पारित करते हुए उसे संसद रवाना किया जाए ताकि दस्तूर 9 वीं अनुसूची में संशोधन की जा सके।
अध्यक्ष बीसी आयोग बीएस रामलो और सदस्य कृष्णा मोहन, जय गौरी शंकर और इंजन गौड़ ने अपने पद समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के शिविर कार्यालय में मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने उन्हें जो सलाह दी है, ऐसा लगता है कि मुसलमानों को आरक्षण का मामला फिर एक बार लेत और लाल का शिकार हो जाएगा। टीआरएस सरकार मुसलमानों को इस धारणा देने की कोशिश कर रही है कि वह 12% आरक्षण के मामले में संजीदा है और इस में विफलता का श्रेय केंद्र के सिर बांधा जाएगा।
विचारणीय पहलू यह है कि भाजपा ज़ेर इक़तिदार तीन राज्यों राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में बिलतर्तीबर, जाट और पटेल तबक़ात को एहतिजाज के बाद सुरक्षा प्रदान किए गए थे। संबंधित हाईकोर्टस ने आरक्षण पर रोक लगा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर चाहें तो 9 वीं अनुसूची में संशोधन के जरिए भाजपा ज़ेर इक़तिदार राज्यों में आरक्षण की बरक़रारी यक़ीनी बना सकते हैं लेकिन वे ख़ामोशी इख़तियार की हैं। ऐसे में क्या कोई उम्मीद कर सकता है कि तेलंगाना में केवल मुसलमानों को आरक्षण की आपूर्ति के लिए केंद्र की भाजपा सरकार 9 वीं अनुसूची में संशोधन करेगी? वर्तमान बीसी तबक़ात को फ़राहम आरक्षण प्रभावित किए बिना मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए सरकार किस हद तक सफल होगी, यह तो समय ही बताएगा।
सुधीर आयोग ने भी मुसलमानों के आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश की। सामाजिक और शैक्षिक पसमांदगी का शिकार तबक़ात को आरक्षण के लिए बीसी आयोग की सिफारिश चाहिए। कई तबक़ात उन्हें बीसी में जोड़ने और कुछ श्रेणी बदलने की मांग कर रहे हैं। बीबीसी आयोग इन सभी मांगों की समीक्षा करते हुए व्यापक रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत कर सकता है।