मोदी सरकार में मंत्री बने प्रतापचंद्र सारंगी क्या ग्राहम स्टेन्स हत्याकांड के दोषी हैं?

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बंपर वोटों से जीत हासिल करने के बाद पीएम मोदी समेत 58 सांसद मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. शपथग्रहण के मौके पर एक नाम ऐसा भी आया जब तालियों की गड़गड़ाहट ने जोर पकड़ लिया, बावजूद इसके कि ये नाम बीजेपी के दिग्गज नामों में शामिल नहीं था.

ये नाम था प्रतापचंद्र सारंगी का. जोकि ओडिशा में मिसाइल टेस्टिंग के लिए प्रसिद्ध बालासोर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं. दावा है कि चुनाव में उन्होंने कुछ भी खर्च नहीं किया. मंगलवार को वो संसद भवन पहुंचे थे तो उनसे मिलने को हर कोई उत्सुक था. प्रतापचंद्र सारंगी को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय विभाग का जिम्मा सौंपा गया है.

सारंगी के शपथग्रहण के बाद से ही सोशल मीडिया पर उनकी खिलाफत में एक पोस्ट वायरल है. इस पोस्ट के मुताबिक सारंगी पर 7 क्रिमिनल केस दर्ज हैं. इसके साथ सारंगी को ग्राहम स्टेन्स हत्याकांड का दोषी भी बताया जा रहा है.

फेसबुक पर तेजी से फैल रही पोस्ट में लिखा है-  “जिस इंसान को ज्यादातर लोग जानते ही नहीं. उसके लिए सबसे ज्यादा तालियां क्यों बजीं! ओडिशा के बालासोर से सांसद और मोदी कैबिनेट में मंत्री पद का शपथ लेने वाले प्रताप षडंगी पर 7 क्रिमिनल केसेज हैं. ओडिशा में कुष्ठ रोगियों के लिए काम करने वाले ग्राहम स्टेन्स को 23 जनवरी 1999 को उनकी ही गाड़ी में जलाकर मार डाला गया था. उस वक्त गाड़ी में ग्राहम के दो मासूम बच्चे भी जलकर मर गए. ये मर्डर बजरंग दल वालों ने करवाया था. और उस वक्त ओडिशा में बजरंग दल के स्टेट को-ऑर्डिनेटर थे कल से लोकतंत्र की प्रतिमूर्ति बन गए प्रताप षडंगी.

बीजेपी मीडिया मैनेजर को अच्छे से पता है कि लाइमलाइट कहां लेना है. अचानक से एक बंदे को हीरो बना दिया. खेल गए अच्छे से ये लोग. और हम सब बेवकूफ़ बन गए.”

फेसबुक के साथ-साथ ट्विटर पर भी इस मामले से जुड़े कुछ ट्वीट किए गए हैं.

फेसबुक पोस्ट में कितना दम?

वायरल हुई इस पोस्ट की सच्चाई की बात करें तो इसे बड़ी तादाद में अलग अलग सोशल मीडिया अकाउन्ट्स से पोस्ट किया गया है, लेकिन इसमें किए जा रहे दावों को सच साबित करने वाला कोई सबूत अब तक सामने नहीं आया है. लिहाजा इन बातों को सिर्फ कथित तौर पर फैलाया जा रहा है. हालांकि बहुत से लोगों का कहना है कि सारंगी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं. लेकिन ग्राहम हत्याकांड में सारंगी को दोषी करार देने वाली कोई पुख्ता बात सामने नहीं आई है.

स्टेंस की पहचान कुष्ठरोगियों के लिए काम करने के लिए नहीं थी. वह ईसाई मिशनरी थे और वही उनकी मुख्य पहचान थी.

इस मामले में बजरंग दल से जुड़े दारा सिंह को दोषी पाया गया था, दारा सिंह और बजरंग दल दोनों एक ही वजह से स्टेन्स को नापसंद करते थे, लेकिन अदालत ने ऐसा नहीं कहा कि बजरंग दल एक संगठन के तौर पर इस हत्या से जुड़ा था. वहीं सारंगी ने स्टेन्स की हत्या की निंदा भी की थी.

बीबीसी के हवाले से “सारंगी ने ओडिशा में बजरंग दल के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया है और उससे पहले वह राज्य में विश्व हिन्दू परिषद के एक वरिष्ठ सदस्य भी रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लंबे समय से जुड़े रहे षडंगी जमीन से जुड़े कार्यकर्ता रहे हैं.

षडंगी के खिलाफ दंगा, धार्मिक उन्माद भड़काने जैसे कई मामले दर्ज हैं, हालांकि उन्हें किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है”.