मोदी हुकूमत की ग़फ्लत, लापरवाही और नाएहली पर गुजरात हाइकोर्ट की तन्क़ीद

अहमदाबाद ०९ फ़रवरी (पी टी आई) गुजरात हाइकोर्ट ने 2002 के माबाद गोधरा फ़सादाद के दौरान रियास्ती हुकूमत की ग़फ्लत, लापरवाही और् नाअहली पर आज सख़्त तन्क़ीद की। इन फ़सादाद के दौरान मोदी हुकूमत की ग़फ़लत-ओ-लापरवाही और नाएहली के सबब मज़हबी मुक़ामात और इबादतगाहों की भी बड़े पैमाने पर तबाही हुई थी।

कारगुज़ार चीफ़ जस्टिस भास्कर भट्टाचार्य और जस्टिस जे बी पर दीवाला की डीवीजन बंच ने रियासत में इन फ़सादाद के दौरान तबाह होने वाले तक़रीबन 500 मज़हबी मुक़ामात और इबादतगाहों को मुआवज़ा अदा करने का हुक्म देते हुए इन तास्सुरात का इज़हार किया। ये अदालत, इस्लामिक रीलीफ़ कमेटी आफ़ गुजरात (आई आर सी जी) की तरफ़ से दायर कर्दा एक दरख़ास्त की समात कर रही थी।

अदालत आलिया ने इस तास्सुर का इज़हार किया कि फ़सादाद को रोकने में हुकूमत की ग़फ़लत, लापरवाही और् नाअहली, सारी रियासत में मज़हबी मुक़ामात की तबाही का सबब बनी और रियास्ती हुकूमत ऐसे मुक़ामात की तामीर और मुआवज़ा की अदायगी की ज़िम्मेदार होगी।

अदालत ने कहाकि जब हुकूमत इन फ़सादाद के दौरान तबाह शूदा घरों और तिजारती इदारों की तबाही का मुआवज़ा अदा की है चुनांचे उस को चाहीए कि वो मज़हबी मुक़ामात को भी मुआवज़ा अदा करे। अदालत ने ये हुक्म भी दिया कि गुजरात के 26 ज़िलों के
प्रिंसीपल जज्स अपने मुताल्लिक़ा ज़िला में मज़हबी मुक़ामात और इबादतगाहों के लिए मुआवज़ा की दरख़ास्तें वसूल करेंगे और उन पर फ़ैसला करेंगे।

गुजरात की इस्लामी इमदाद कमेटी ने 2003 में दरख़ास्त दायर करते हुए अदालत से दरख़ास्त की थी कि फ़सादाद के दौरान तबाह शूदा मज़हबी मुक़ामात को मुआवज़ा की अदायगी के लिए हुकूमत को हिदायत की जाए। इस बुनियाद पर क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन ने मुआवज़ा की अदायगी की सिफ़ारिश की थी और रियास्ती हुकूमत इस से उसोली तौर पर इत्तिफ़ाक़ करचुकी थी।

रियास्ती हुकूमत ने इस्लामी इमदाद कमेटी गुजरात की इस दरख़ास्त की मुख़ालिफ़त करते हुए कहा था कि ये दस्तूर की दफ़ा 27 की ख़िलाफ़वर्ज़ी के मुतरादिफ़ है। इलावा अज़ीं मोदी हुकूमत ने ये भी कहा था कि फ़सादाद के दौरान तबाह होने वाले मज़हबी मुक़ामात और इबादतगाहों की तामीर-ओ-मुरम्मत के लिए मुआवज़ा अदा करने से मुताल्लिक़ उस की कोई पालिसी नहीं है।

इस्लामिक रीलीफ़ कमेटी आफ़ गुजरात के वकील एम टी ऐम हकीम ने मुल्क के इस तारीख़ साज़ फ़ैसला का ख़ौरमक़दम किया है जिस के तहत फ़सादाद के दौरान तबाह शूदा मज़हबी मुक़ामात और इबादतगाहों की तामीर-ओ-मरम्मत के लिए हुकूमत को मुआवज़ा अदा करने का हुक्म दिया गया है। मिस्टर हकीम ने कहाकि ग़ालिबन ये पहला मौक़ा है कि 2002 के फ़सादाद में रियास्ती हुकूमत को ग़फ़लत, लापरवाही और नाअहली का ज़िम्मेदार क़रार दिया गया है।