मोदी हुकूमत के ख़िलाफ़ तहक़ीर अदालत की नोटिस जारी

अदलिया की मुसलसल तन्क़ीद-ओ-मलामत की शिकार नरेंद्र मोदी हुकूमत आज फिर एक नई मुसीबत में घिर गई। गुजरात हाइकोर्ट ने माबाद गोधरा फ़सादाद के दौरान नज़र-ए-आतिश की गई दुकानात के मुतास्सिरा अफ़राद को मुआवज़ा अदा करने के लिए इस (अदालत) के अहकाम पर तामील ना किए जाने पर तहक़ीर अदालत की नोटिस जारी कर दी। इस नोटिस की इजराई से एक हफ़्ता क़बल अदालत ने 2002 के फ़िर्कावाराना फ़सादाद के दौरान तबाह शूदा इबादतगाहों को तामीर और बहाल ना करने पर मोदी हुकूमत की सरज़निश की थी।

जस्टिस अक़ील क़ुरैशी और जस्टिस सी एल सूती पर मुश्तमिल एक डीवीजन बेंच ने कलेक्टर अहमदाबाद को नोटिस जारी करते हुए दरयाफ़त किया है कि 2002 के फ़िर्कावाराना फ़सादाद के दौरान दो का नात को नज़र-ए-आतिश किए जाने के मसला पर 56 मुतास्सिरीन की दरख़ास्त पर क्यों ना तहक़ीर अदालत की कार्रवाई शुरू की जाए।

अदालत ने कलेक्टर को 14 मार्च तक इस नोटिस का जवाब दाख़िल करने की हिदायत की है। दुकानात के 56 मालकीयन ने इस्तिदलाल पेश किया था कि अहमदाबाद के इलाक़ा राखयाल में फ़सादाद के दौरान उन की दुकानात नज़र-ए-आतिश कर दी गई थीं और फरवरी 2008 में मुतास्सिरीन फ़सादाद के लिए मर्कज़ की तरफ़ से इज़ाफ़ी इमदादी पैकेज के ऐलान के बाद उन्होंने मुआवज़ा के लिए दरख़ास्त दी थी, जिस पर ज़िला हुक्काम ने कोई जवाब नहीं दिया। बादअज़ां वो एक ग़ैरसरकारी तंज़ीम जन संघर्ष मंच के तवस्सुत से हाइकोर्ट से रुजू होते हुए दरख़ास्त की थी कि ज़िला कलेक्टर को उन की दरख़ास्तों का जायज़ा लेते हुए मुआवज़ा फ़राहम करने की हिदायत दी जाय। इस दरख़ास्त की बुनियाद पर हाइकोर्ट ने गुज़श्ता साल सितंबर में एक हुक्म जारी करते हुए कलेक्टर को हिदायत की थी कि मुआवज़ा केलिए दरख़ास्तों का जायज़ा लिया जाय। दरख़ास्त गुज़ारों को इस माह के अवाइल में दफ़्तर कलेक्टर से एक मुर्सला मौसूल हुआ था जिस में कहा गया था कि इन तमाम 56 मुतास्सिरीन की दरख़ास्तें अगस्त 2011में ही मुस्तर्द की जा चुकी हैं।

 

मुरासला की वसूली के बाद दरख़ास्त गुज़ारों ने कलेक्टर और रियास्ती हुकूमत के ख़िलाफ़ तहक़ीर अदालत का मुक़द्दमा दायर किया था जिस में ब्यान किया गया था कि हुकूमत और कलेक्टर अदालती अहकाम पर तामील नहीं कर रहे हैं। मुतास्सिरीन ने इल्ज़ाम आइद किया था कि कलेक्टर के दफ़्तर ने इस अदालत में मुक़द्दमा की तमाम तफ़सीलात पेश की थी। मुतास्सिरीन ने कहा कि अदालत ने मुआवज़ा की अदायगी के लिए उन की दरख़ास्तों का जायज़ा लेने के लिए सितंबर में हुक्म दिया था लेकिन मुआवज़ा की अदमे अदाएगी तहक़ीर अदालत के मुतरादिफ़ है। गुजरात हुकूमत ने 8 फरवरी को हुकूमत गुजरात की सख़्त तरीन मुज़म्मत करते हुए 2002 के फ़सादाद को रियास्ती हुकूमत की ग़फ़लत-ओ-लापरवाही का नतीजा क़रार देते हुए फ़सादाद पर क़ाबू पाने केलिए हुकूमत की अदम कारकर्दगी की सरज़निश की थी। अदालत ने फ़सादाद के दौरान बड़े पैमाने पर अफ़रातफ़री के लिए हुकूमत को ज़िम्मेदार क़रार दिया था।

 

गुजरात हाइकोर्ट ने फ़सादाद के दौरान तबाह शूदा 500 इबादतगाहों की बहाली केलिए इस्लामिक रीलीफ़ कमेटी गुजरात की तरफ़ से दायर कर्दा दरख़ास्त पर इन इबादतगाहों की दुबारा तामीर-ओ-बहाली के अहकाम जारी करते हुए हुकूमत गुजरात के ख़िलाफ़ सख़्त तरीन रिमार्कस भी किए थे। अदालत ने अपने सख़्त तरीन रिमार्कस में कहा था कि हती कि अगर बहस की ख़ातिर बालफ़रस मुहाल ये मान भी लिया जाय कि साबरमती एक्सप्रैस आतिशज़दगी वाक़िया के अवामी रद्द-ए-अमल के तौर पर ये फ़सादाद फूट पड़े थे, इस में भी अवामी रद्द-ए-अमल के बारे में बरवक़्त इ‍टेलीजेंस रिपोर्ट जमा करने में पुलिस की नाकामी का इज़्हार हुआ है। इलावा अज़ीं हालात पर बरवक़्त क़ाबू पाने के सवाल पर हुकूमत की ग़फ़लत-ओ-लापरवाही ज़ाहिर हुई है।

 

अदालत ने मज़ीद कहा था कि इस तरह ये हक़ीक़त हनूज़ बरक़रार है कि फ़सादाद के दौरान नीराज-ओ-अफ़रातफ़री मुसलसल कई दिन तक जारी रही। जिस से बज़ात-ए-ख़ुद ये वाज़िह होजाता है कि बिलकुल अदम कारकर्दगी की गई हो लेकिन हुकूमत की तरफ़ से मुनासिब और ख़ातिरख़वाह कार्रवाई भी नहीं की गई थी। अदालत ने हुकूमत गुजरात को 500 (मुस्लिम) इबादतगाहों की तामीर और बहाली का हुक्म देते हुए कहा था कि इस ज़िमन में हुकूमत अपनी ज़िम्मेदारीयों से चश्मपोशी और पहलूतिही नहीं कर सकती। सूरत-ए-हाल से निमटने में हुकूमत की नाकाफ़ी अज़म-ओ-इरादा का इज़हार होता है जिस के सबब रियासत में 500 इबादत गाहैं तबाह हुईं जो सिर्फ एक ही मख़सूस मज़हबी तबक़ा की हैं।