मोदी हुकूमत को एक और झटका

गुजरात में मुस्लमानों के क़तल-ए-आम और फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स में इन की हलाकतों के असरात एसा लगता है कि अब नरेंद्र मोदी हुकूमत का तआक़ुब कर रहे हैं और हुकूमत लाख कोशिशों के बावजूद उन से छुटकारा हासिल नहीं कर पा रही है ।

हुकूमत ने इस काले करतूतों को छिपाने की हत्तल मक़दूर कोशिश की थी लेकिन हिंदूस्तान की अदलिया ने अपनी आली तरीन रवायात का पूरा इज़हार करते हुए अदलिया के तयें अक़ल्लीयतों और खासतौर पर मुस्लमानों के एतिमाद और यक़ीन को मज़ीद मुस्तहकम करते हुए उन को इंसाफ़ दिलाने की कोशिश की है ।

गुजरात में सुहराब अलुद्दीन शेख एनकाउंटर पहले ही फ़र्ज़ी क़रार दिया जा चुका है । इस में गुजरात के वो पुलिस अहलकार शामिल हैं जो चीफ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी के मंज़ूर-ए-नज़र थे और मज़ीद तमगे हासिल करने की फ़िक्र में वो बेक़सूर अफ़राद को हलाक करने से तक गुरेज़ नहीं कर रहे थे । इसी तरह सादिक़ मिहतर एनकाउंटर में भी तहकीकात हो रही हैं।

मुंबई से ताल्लुक़ रखने वाली नौजवान तालिबा इशरत जहां के एनकाउंटर में भी हक़ायक़ मंज़रे आम पर आने शुरू हो गए हैं । अदालत आलिया के अहकामात की वजह से गुजरात की हुकूमत परेशानियों का शिकार थी लेकिन अब उस की परेशानियों में मज़ीद इज़ाफ़ा हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट ने एक हुक्मनामा के ज़रीया 2002 से 2006 के दरमियान रियासत गुजरात में हुए तक़रीबा 21 मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाउम्टर्स की तहकीकात का हुक्म दिया है और इस सिलसिला में साबिक़ जज एम एस शाह को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है ।

जस्टिस शाह को हुकूमत गुजरात ने इन गुज़शता साल इन एनकाउंटर्स की तहकीकात की निगरानी के लिए मुक़र्रर किया था । सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तमाम 21 फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स की तहकीकात की निगरानी करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है और उन मुबय्यना फ़र्ज़ी एंकाउंटर्स के मुतासरीन में भी अब इंसाफ़ मिलने की उम्मीदें पैदा हो गई हैं।

जहां मुतासरीन में इंसाफ़ की उम्मीद पैदा हुई है वहीं एसा लगता है कि इन एंकाउंटर्स के ज़िम्मेदार पुलिस अहलकारों और हुकूमत गुजरात केलिए परेशानियों के नए दौर का आग़ाज़ हो गया है । नरेंद्र मोदी हुकूमत हालाँकि हालात को अपने हक़ में करने की हर मुम्किन कोशिश करेगी लेकिन इस का कामयाब होना मशकूक होगा।

सुप्रीम कोर्ट की एक बंच ने अपने अहकाम में इन तमाम मुक़द्दमात की जामि और मूसिर अंदाज़ में तहकीकात करने की हिदायत देते हुए अंदरून तीन माह इस सिलसिला में एक रिपोर्ट भी पेश कर दी है । अदालत ने एक सहाफ़ी बी जी वरघेस और मशहूर शाय-ओ-गीतकार जावेद अख़तर की दायर कर्दा मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्तों पर समाअत के दौरान इन मुक़द्दमात की तहकीकात की हिदायत दी है ।

इन दरख़ास्तों में शिकायत की गई थी कि इकलेती बिरादरी को इन एंकाउंटर्स के ज़रीया जिन में तक़रीबा तमाम के फ़र्ज़ी होने का शुबा है दहश्त गर्द ज़ाहिर करने की कोशिश की गई है । अदालत ने तहकीकात के लिए सदर नशीन जस्टिस शाह को एक आज़ादाना टीम तशकील देने की भी इजाज़त दे दी और कहा कि वो अपनी मर्ज़ी से चाहें तो गुजरात के ओहदेदारों की ख़िदमात हासिल करें यह फिर रियासत के बाहर के ओहदेदारों की ख़िदमात भी हासिल की जा सकती हैं।

अदालत आलिया की ये हिदायत अक़ल्लीयतों केलिए उम्मीद की किरण है और ये यक़ीन से कहा जा सकता है कि इन तहकीकात में भी मुतासरीन और बेगुनाहों को इंसाफ़ मिलेगा । अदालत की हिदायत के मुताबिक़ जामि और गैर जांबदार तहकीकात की जाएं तो क़ानून के रखवालों की वर्दी में उसे बेशुमार दरिंदों और भेड़ियों के चेहरे बेनकाब होंगे जिन्हों ने महिज़ अपने सयासी आक़ाओं को ख़ुश करने और अपने सैन्य पर झूटे तमगे सजाते हुए तरक़्क़ी की सीढ़ियां चढ़ने केलिए बेक़सूर अफ़राद को फ़र्ज़ी एनकाउटर्स में मौत के घाट उतार दिया था । उन के चेहरे समाज के सामने बेनकाब होने की उम्मीद पैदा होगई है।

जो भी एंकाउटर्स फ़र्ज़ी साबित होंगे और उन में मुलव्वस अफ़राद का हक़ीक़ी चेहरा बेनकाब होगा तो फिर उन के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई का अदालत के अहकाम के मुताबिक़ आग़ाज़ मुम्किन हो सकता है ।

सुप्रीम कोर्ट की ये हिदायत एक तरह से नरेंद्र मोदी हुकूमत के किरदार और इस के दस्तूर के नाम पर लिए गए हलफ़ पर सवाल है । हर हुकूमत दस्तूर के नाम पर अपने शहरियों की जान-ओ-माल के तहफ़्फ़ुज़ और उन की फ़लाह-ओ-बहबूद का हलफ़ लेती है लेकिन अगर हक़ायक़ को देखा जाय तो कई मौक़ों पर साबित होगया है कि गुजरात हुकूमत ना सिर्फ अपने इस दस्तूरी हलफ़ की तकमील में नाकाम साबित हुई है बल्कि इस ने इस हलफ़ की ख़िलाफ़वरज़ी करते हुए अक़ल्लीयतों को मौत के घाट उतारने का काम अंजाम दिया है ।

गुजरात फ़सादाद में सैंकड़ों अफ़राद को मुनज़्ज़म साज़िश के दौरान मौत की नींद सुला दिया गया ख़वातीन की हुरमतों को दागदार किया गया सैंकड़ों करोड़ रुपय की जायदाद-ओ-इमलाक को तबाह कर दिया गया । जब फ़सादाद थम गए तो फिर इकलेती नौजवानों के एनकाउंटर्स के नाम पर क़तल का सिलसिला जारी हो गया ।

ये उसे वाक़ियात हैं जो हिंदूस्तान जैसे जमहूरी मुल्क में हुकूमतों की शबेहा को मुतास्सिर करते हैं और इस का ख़ुद अदलिया में और सयासी हलक़ों में एतराफ़ भी हो चुका है । अदालतों की जानिब से मोदी हुकूमत पर पड़ने वाली मुसलसल फटकार के बाद मोदी हुकूमत इक़तिदार पर बरक़रारी के अख़लाक़ी हक़ से महरूम होचुकी है लेकिन इस से इक़तिदार से अस्तीफ़ा की उम्मीद फ़ुज़ूल होगी ।

ये कहा जा सकता है कि अदालत ने मुतासरीन में इंसाफ़ मिलने की उम्मीद पैदा कर दी है ।