अब्दुल हामिद अंसारी की “शहजाद पूनावाला” से एक मुलाकात, पेश है बातचीत के कुछ अंश
1-सवाल: सबसे पहले मै बिहार मे जीत के लिए बधाई देना चाहता हूँ और बिहार की जीत में किसको सेहरा पहनाना चाहेंगे?
जवाब: मै आपसे पूछता हूँ, अगर हम हारते तो आप हार का ठीकरा किस पर फोड़ते ? क्या उस इंसान को या इंसानों को
क्रेडिट देना ग़लत होगा, जब हमारी जीत हो ? देखिये पहले तो बिहार की जीत के क्रेडिट की तो बिहार और भारत के
लोगों को देना चाहूंगा जिन्होनें मोदी जी के इन्तेखाबी जुमलों के गुब्बारों से हवा निकाल दी और अमित शाह के पाकिस्तान
वाले बयाँ पे ऐसा करार तमाचा दिया कि उसकी गूँज, सीधे नागपुर तक जा पहुंची. कुछ क्रेडिट बीजेपी को भी जाता है
जिन्होनें गाय से लेकर रिजर्वेशन तक , सभी तरह के उलटे तरीक़े अपनाए और अपने आप को एक्सपोज़ कर दिया. फिर
क्रेडिट पार्टी के वर्कर्स को दूंगा जिन्होंने फ़िरकापरस्त ताक़तों की हार को यक़ीनी करने के लिए दिन ओ रात एक कर दिए.
ज़ाहिर सी बात है ये इंतेखाब नितीश जी लालू जी और राहुल जी की लीडरशिप में लड़ा गया तो उनका किरदार एहम है .
सवाल 2 : जिस प्रकार बिहार में गठबंधन को लेकर कांग्रेस ने काफी अहम भूमिका निभाई, क्या पुरे देश में यही माहौल
बनाकर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस?
जवाब : मुझे लगता है कि पूरे देश में आने वाले इन्तेखाबात में , केरल , पश्चिम बंगा, तमिल नाडू, असोम, उत्तर प्रदेश,
पंजाब..सभी जगह कांग्रेस को कोशिश करनी चाहिए कि सेक्युलर ताक़तें इकठ्ठा हों और फ़िरकापरस्त बीजेपी-आरएसएस
को हराया जा सके. पर एक बात ज़रूर कहना चाहूँगा कि जिस तरह अक्लीयत ने हिमायत की है , उनके यकीन को बनाए
रखने के लिए उनके मसाइल को बहुत एहम तरीक़े से तरजीह मिलनी चाहिए और उनको सोशियो इकनोमिक और सोशियो
पोलिटिकल तरह से मरकज़ में जगह मिलनी चाहिए ताकि आरएसएस बीजेपी उनकी लाचारी का फ़ायदा ना उठा सके
सवाल 3 : क्या भारत के मुसलमान आजादी के बाद इस वक्त, मौजूदा सरकार में सबसे ज्यादा असहज महसूस कर रहे हैं?
जवाब : जी हाँ, यह कहना ग़लत नहीं होगा. आज इस मुल्क को हिन्दू मुल्क बनाने की क़वायद शुरू हो चुकी है. मोदी एक
मुखौटा है, असली चेहरा और अगेंदा आरएसएस-विहिप का चल रहा है. दादरी में जो हुआ वो एक हादसा नहीं था , वो
मंसूबा बंदी थी. बीफ के नाम पर बंटवारा… फिर लव-जिहाद..फिर दहशतगर्दी …सभी तरीकों से बीजेपी-आरएसएस
यहाँ के मुसलामानों को देश द्रोही बताना चाहती है… वज़ीर महेश शर्मा का भी यही बयान था.. ” डॉ कलाम मुसलमान
होने के बावजूद देश भक्त थे” और मोदी जी ने उनको कलाम साहब का घर दे दिया …संगीत सोम और संजीव बालियाँ जैसे
मुज़फ्फरनगर दंगों के मुल्ज़िमों ने ये यक़ीनी बना दिया कि “अच्छे दिन” आयें ..देखिये आरएसएस के गोलवलकर ने लिखा
था अपनी किताब में “हिन्दुस्तानी मुसलमान और इसाई अंदरूनी ख़तरा हैं “…. उसी किताब को पढ़ के आरएसएस के
स्वयं सेवक मोदी बड़े हुए हैं .
हाँ पर ख़तरा सिर्फ़ मुसलमान के लिए नहीं. दलित और ईसाईयों के लिए भी है, हरयाना में दलित बच्चों की मौत हुई,
वज़ीर ए आज़म ने कुछ नहीं कहा.. अशोक सिंघल को खिराज अलबत्ता दी, पर दलित और अखलाक़ जैसे मुसलामानों को
उनके वज़ीर “कुत्ते” के ही बराबर मानते हैं …आरएसएस अगेंदा क्लियर नहीं है क्या?
सवाल 4 : आप को अगर अपनी राय देना हो भारत के मुसलमानों को तो क्या राय देगें।
जवाब: हमारे लिए “बुरे दिन” शुरू हो चुके हैं…..अब वक़्त है कि हम इकट्टा होकर इन वतन के काफिरों से लड़ें. जैसे
दलित समाज ने मायावती को ताक़त दी है वैसे अच्छे मुसलमान रहनुमाओं को ताक़त दे
और समाजिक तरह से देखें तो ये ज़रूरी है कि तालीम हासिल करें. बेटियों को भी तालीम दें. सबसे ज़रूरी है तालीम.
सरकार मुसलमान इलाकों में स्कूल कॉलेज नहीं बनवा रही है.. तो अमीर मुसलामानों से अपील है कि आप ऐसे इलाकों में
जामिया, मॉडर्न मदरसे, कॉलेज बनाने के लिए मदद करें
बिरियानी और इफ्तार पार्टी से ज़्यादा ज़रूरी ये है.. क़ुरान पाक का पहला लफ्ज़ इकरा है, जिसके मा’नी “पढो” हैं, यह
अल्लाह और पैग़म्बर रसूल का हुक्म है हमें .
सवाल 5: समाज में हिन्दू और मुसलमानों के बीच में काफी दुरिया बनते जा रहे हैं, शायद यही वजह है कि सिर्फ बीफ को
एक मुद्दा बनाकर अखलाक जैसे बेगुनाह को बेरहमी से हत्या कर दिया गया। आप क्या कहेंगे, कौन लोग हैं इसके
जिम्मेदार? घटना से लेकर अब तक राज्य सरकार और भारत सरकार क्या कदम उठाए हैं?
जवाब : इसके पीछे आरएसएस और उसकी सोच ज़िम्मेदार है जो मुसलमान को मुल्क का “अंदरूनी खतरा” बताती है …
हिन्दू और मुसलमान में कोई बैर नहीं है, हज़ारों साल हम मिलकर रहे हैं, बादशाह अकबर की हुकूमत देखिये…कितने
सेक्युलर थे वो, ये तो अंग्रेजों ने हमें बांटो और राज करो के तहेत बांटा और अब “नागपुर के अँगरेज़”इसी पालिसी को
अपना रहे हैं, सेक्युलर हिन्दू को अलर्ट रहना पडेगा इस हिन्दू तालिबान -आइएसआइएस के ख़िलाफ़
अब तक अखलाक़ की मौत को लेकर ना उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ना मोदी की मरकज़ी हुकूमत ही संजीदा है,
अखलाक़ का बेटा एयरफोर्स में है..पर मोदी ने एक लफ्ज़ अफ़सोस का नहीं जताया… उलटे उनके लोगों ने और कम्युनल
ज़हर फैलाया…जैसे योगी आदित्यनाथ की तंजीम ने दादरी में बन्दूक बांटने की बात की,,, क्या अखिलेश यादव ने उन्हें
गिरफ़्तार किया? नहीं. यह उनकी नूरा कुश्ती है..मुज़फ्फ़रनगर में भी यही हुआ… अखलाक़ की रसोई से मटन का टेस्ट
करवाया पर मुजरिम फ़रार है
सवाल 6 : अखलाक जैसा बेकसूर फिर से न मारा जाय, पुरे समाज को क्या संदेश होना चाहिए आपके तरफ से।
जवाब: एक ही पैग़ाम है, इंसान जानवर को खाता है, यही क़ुदरत है.. जानवर के लिए कोई इंसान (अखलाक़) को खाए ये
आरएसएस की क़ुदरत है…इस तरह की चीज़ को मुल्क में हावी ना होने दें
सवाल 7: आप से भारत का मुसलमान बहुत कुछ उम्मीद करता है, मुस्लिम समाज को राज्यनिती में मजबूती लाने के लिए
क्या करना चाहिए, संसद और विधानसभाओं में कैसे आया जाए?
जवाब : मुसलमान एक हो जाए, तय कर ले कि हम किस इंसान को सपोर्ट करेंगे, कौन हमारी बातों को और मसाइल को
उठाता है.. कौन हर मुद्दे पर बेबाकी से सामने आता है और आरएसएस की मुखालफ़त करता है…कौन हमारे बुनियादी
हुकूक के लिए, तालीम, रोज़गार, इज्ज़त, बराबरी के लिए बढ़ता है… दलितों ने बसपा को पूरा सपोर्ट दिया उत्तर प्रदेश में
और उनका वज़ीर ए आला बना..उन्हें इज्ज़त मिली, रिजर्वेशन मिला.. सियासत से जुड़े,,, इंतेखाब लड़ें, लडवाए…सांसद
बने, एम एल ए बने…ये किया जा सकता है… सिर्फ़ उम्मत को साथ आना होगा…इख्तियार करना होगा उस लायक
रहनुमा पर…
सवाल 8 : चुनाव में पार्टियों को क्या राज्य में मुसलमानों के संख्या के आधार पर टिकट मिलना चाहिए,जिससे मुसलमानों
को ज्यादा से ज्यादा राजनीति में आने का मौका मिलेगा, इस पर आपकी राय क्या है?
जवाब : बिलकुल …पार्लियामेंट हो या असेंबली …दोनों जगह मुसलमान को नुमाइंदगी नहीं मिल रही… असेंबली में तो
50 फ़ीसद से ज़्यादा अभाव है…1947 से लेकर आज तक मुसलमान को सियासी हक नहीं मिला.. और उसी वजह से वो
सामाजिक और इकनोमिक रूप से पिछड़ रहा है.. दलित को रिजर्वेशन मिला पार्लियामेंट और असेंबली में तो उसकी
तरक्क़ी हुई और आज कई डाली आईएस आईपीएस अफ़सर बने. नौकरियां मिलीं, भेद भाव कम हुआ… मुस्लिम को ये
हक़ मिला..मेरी सियासत का एक सबसे बड़ा पहलु है कि अच्छे मुसलमान सियासत में आगे आगे और सांसद और एम एल
अ बने. 14 फ़ीसद मुसलमान के 14 फ़ीसद सांसद और वज़ीर ए आज़म क्यूँ न हों ?ये जम्हूरियत है तो सबकी हिस्सेदारी
हो..
सवाल 9 : बिहार के चुनाव में भाजपा ने जिस प्रकार गोमांस को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा और जनता ने इसे खारिज कर
दिया, क्या ये मुद्दा उठाना भाजपा को भारी पड़ गया ? क्या बिहार की जनता ने देश को सही दिशा में ले जाने का आईना
दिखा दिया है? आपकी राय… ।
जवाब : बीजेपी ने विकास और चाय पे चर्चा छोड़कर कम्युनल और “गाय पे चर्चा ” की तो बिहार के लोगों ने उन्हें बता
दिया कि गाय की पूँछ पकड़ोगे तो गोबर ही मिलेगा… दलाई लामा ने भी कहा.. सब ने देखा..जनता जनार्धन है ..उसको
ज़्यादा देर बेवकूफ नहीं बना सकते..ये सब कुछ जानती है.. बीजेपी को आइना दिखाया.. बीजेपी फिरकापरस्ती की
सियासत छोड़े, आरएसएस पर बन लगाए और तरक्क़ी पर जोर दे. वर्ना ऐसे ही नतीजे आते रहेंगे
सवाल 10 : जिस देश में बिजली, पानी, सड़क, रोजगार जैसे बड़े मुद्दे हो, उस देश में ऐसे मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनाना
जिस से समाज को कोई भला ना हो, कहाँ तक ठीक है?
जवाब :विकास का मुखौटा पहेनकर विनाश की सियासत करना ये बीजेपी और मोदी की फितरत है.. उन्हें मुल्क के
मसाइल से या ग़रीबों से कोई वास्ता नहीं है.. ये कुछ कॉर्पोरेट के हिट के लिए काम कर रहे हैं, वाही लोग आरएसएस को
चंदा देते हैं, वो चाहते हैं की हिन्दुस्तान “हिन्दू मुल्क” बने और मुसलमान, आदिवासी और दलित जो इस मुल्क की
ज़्यादातर आबादी है उनके घर, खेत, ज़मीन इन अमीरों को मिल जाए, आरएसएस बीजेपी और इन चन्द पैसे वालों की
यही सियासत है, जर्मनी में हिटलर की तरह, इन्हें बिजली सड़क पानी कानून से कोई मतलब नहीं, ये अवाम के विरोधी हैं
…अवाम को जोड़ना होगा..बिहार का नतीजा दोहराना होगा