दिल्ली : कुछ दिनों पहले आरएसएस और बीजेपी लीडरों की मीटिंग हुयी थी कांग्रेस ने इलज़ाम लगाया था की हुकूमत आरएसएस चीफ मोहन भागवत के इशारों से चलती हैं. मर्क़ज़ी होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने ओपोजिशन के इस इलज़ाम को खारिज कर दिया था की आरएसएस हुकूमत चला रही है. उन्होंने कहा की वज़ीरे आज़म इस तंजीम के स्वयसेवक हैं और इसमें किसी को दिक्क़त नहीं होनी चाहिए. राजनाथ सिंह ने एक प्रोग्राम में कहा की “मैं हर किसी से पूछना चाहता हूँ की मैं आरएसएस का स्वयंसेवक हूँ, वज़ीरे आज़म आरएसएस के स्वयंसेवक हैं. इसमें किसी को एतराज़ नहीं होनी चाहिए.
अब सवाल ये है की खुल्लम खुल्ला होम मिनिस्टर ये तस्लीम कर रहे हैं की वज़ीरे आज़म आरएसएस के स्वयंसेवक हैं किसी को एतराज़ नहीं होना चाहिए. तो उस इलज़ाम को मजबूती मिलती ही है की हुकूमत आरएसएस के इशारों पर चल रही है. आखिर आरएसएस है कोई सियासी पार्टी तो है नहीं फिर सरकार के काम काजों पर दखल देने का उनका कोई हक नहीं. भारत के हर नागरिक को ये बात समझनी होगी और गौर करनी होगी. जैसा की बीजेपी हर वक़्त ये बात कहती आई है की आरएसएस से सरकार से कोई लेना देना नहीं लेकिन वज़ीरे आज़म नरेन्द्र मोदी आरएसएस के स्वयंसेवक हैं ये बात तो राजनाथ सिंह ने ज़ाहिर कर दी.
उन्होंने इस इलज़ाम को भी खारिज कर दिया की आरएसएस हुकूमत चला रही है. होम मिनिस्टर ने कहा, इसमें कोई सच्चाई नहीं है. यह पूरी तरह बेबुनियाद है. राजनाथ सिंह इस इलज़ाम को भी खारिज कर दिया की आरएसएस कियादत के साथ बैठक में शामिल होकर मर्क़ज़ी वज़ीरों ने ओहदे का तस्लीम करते वक़्त ली गयी गोपनीयता की शपथ तोड़ दी है उन्होंने कहा, ‘हमने गोपनीयता की शपथ नहीं तोड़ी है. बैठक चाहे आम तौर से हो या कमरे के अन्दर, इसमें शामिल होने से गोपनीयता की शपथ नहीं टूटती है. आरएसएस की तीन देनी मीटिंग में बीजेपी लीडर और मोदी हुकूमत के तमाम बड़े वजीर हाज़िर हुए थे. ऐसा कहा जा रहा था की इस मीटिंग में आरएसएस चीफ मोहन भगवत ने मोदी के वज़ीरों के कामकाज के बारे में पूछा था. इस मीटिंग में संघ के भी तमाम बड़े लीडर शामिल थे.