मोनाजिर को देनी होगी दोस्ती की कुरबानी

लोकसभा इंतिख़ाब में जदयू का भाकपा के साथ मूआहेदा हुआ, तो बेगूसराय के एमपी मोनाजिर हसन को अपनी मौजूदा सीट गंवानी पड़ सकती है। भाकपा ने जदयू को समझौतेवाली सीटों की जो फेहरिस्त सौंपी है, उसमें बेगूसराय का मुकाम सबसे ऊपर है।
भाकपा के इस दावे ने जदयू के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं कि वह बेगूसराय को छोड़ तालमेल नहीं कर सकती। जदयू यह कह रहा है उसका तालमेल भाकपा के साथ हो सकता है। वजीरे आला नीतीश कुमार ने भी भाकपा के साथ जदयू के तालमेल होने का इशारा दिया है। जुमा को रियासती सदर वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी इसकी तसदीक़ की। पर, पार्टी का परेशानी यह है कि बेगूसराय उसकी सीटिंग सीट है और यहां से मोनाजिर हसन एमपी हैं। सीटिंग गेटिंग की बुनियाद पर मोनाजिर का बेगूसराय से दोबारा इंतिख़ाब लड़ना तय माना जा रहा है। भाकपा के साथ तालमेल नहीं होने की सूरत में मोनाजिर ही बेगूसराय से जदयू के उम्मीदवार होंगे।

मोनाजिर इलाक़े में घूम रहे हैं और बाकी बची एमपी खजाने की रकम खर्च करने में जुट गये हैं। जानकारों के मुताबिक अगर यह सीट तालमेल की फेहरिस्त में शामिल हुई, तो मोनाजिर हसन को बेगूसराय से बाहर होना पड़ सकता है। वैसी सूरत में उन्हें जदयू किशनगंज या भागलपुर की सीट से अपना उम्मीदवार बना सकता है। वैसे जदयू समझौते में अपनी सीटिंग सीट को बाहर रख रहा है। इस पर वह तालमेल भी नहीं चाहता। जदयू के साथ भाकपा की जिन सीटों पर तालमेल की बहस है, उसमें जदयू की दो सीटिंग सीटें हैं। पहला बेगूसराय और दूसरा खगड़िया है। खगड़िया से दिनेश चंद्र यादव जदयू के एमपी हैं। भाकपा की लिस्ट की पांच सीटों में बेगूसराय, खगड़िया, मधुबनी, बांका और मोतिहारी है। इनमें तीन भाजपा की सीटें हैं।

बेगूसराय नहीं, तो भाकपा नहीं

भाकपा के लिए बेगूसराय सबसे वकार वाली सीट है। 2009 के लोकसभा इंतिख़ाब में पार्टी उम्मीदवार शत्रुघ्न प्रसाद सिंह एक लाख 65 हजार वोट पाकर दूसरे मुकाम पर रहे थे। अगर भाकपा का जदयू से तालमेल नहीं होता है, तो शत्रुघ्न प्रसाद सिंह पार्टी के उम्मीदवार होंगे। भाकपा का सोच है ‘बेगूसराय नहीं, तो भाकपा नहीं’।