1948 की जंग और सरज़मीन फ़लस्तीन में इसराईली रियासत के क़ियाम की तल्ख़ यादें 66 साल बाद आज भी फ़लस्तीनीयों के दिल दिमाग़ में तरो ताज़ा हैं। क़ियामे इसराईल के दौरान शुमाली फ़लस्तीन के 425 शहरों और देहात में आबाद लाखों अरबों को हिज्रत पर मजबूर किया गया जो आज मुख़्तलिफ़ पड़ोसी मुल्कों में पनाह गुज़ीन हैं।
गुज़िश्ता 66 बरस से फ़लस्तीनी अंदरून और बैरून मुल्क क़ियाम इसराईल के मनहूस दिन को “यौमे नुक़्बा” या क़ियामत कुबरा के तौर पर मनाते हैं।हाल ही में फ़लस्तीनीयों के अपने असल वतन हक़ वापसी के लिए सरगर्म ज़ाकिरात नामी एक तंज़ीम ने एक ऐसी मुनफ़रद मोबाइल एप्लीकेशन मुतआरिफ़ कराई है जिस में क़ियामे इसराईल से पहले के फ़लस्तीनी क़स्बात के नक़्शों को उन के असल नामों के साथ दिखाया गया है।
इसराईली तंज़ीम ज़ाकिरात की ख़ातून डायरेक्टर रोज़नबर्ग का कहना है कि मुल्कों, शहरों और कस्बों के नक़्शों की हैसियत सियासी दस्तावेज़ की होती है और ये बदलते रहते हैं।