मोर्सी के ख़िलाफ़ एहतिजाज में अदलिया और मीडीया भी शामिल

क़ाहिरा, ०४ दिस‍ंबर:(पीटीआई) मिस्र के आला जज्स ने सदर महमूद मोर्सी के इस्लाम पसंद हामियों की जानिब से नफ़सियाती और तिब्बी दबाव के ख़िलाफ़ गैर मुय्यना मुद्दत की हड़ताल शुरू कर दी । इसके साथ साथ मीडिया ने भी मोर्सी के ख़िलाफ़ सदा ए एहतिजाज बुलंद करते हुए कहा कि अपोज़ीशन की ताईद में कल वो अपने अख़बारात शाय नहीं करेंगे ।

सैक्यूलर अपोज़ीशन और मुहम्मद मोर्सी के माबेन महाज़ आराई उस वक़्त शुरू हुई जब सदर मिस्र ने गुज़श्ता माह एक फ़रमान जारी करते हुए सारे इख़्तेयारात मर्कूज़ कर दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कल कहा था कि इस्लाम पसंदों के नफ़सियाती और तिब्बी दबाव की बिना वो बतौर‍ ए‍ एहतिजाज अपना काम काज मुअत्तल कर रहे हैं।

इस्लाम पसंदों ने कल इन जज्स को अदालत में दाख़िल होने से रोक दिया था । कई अख़बारात ने सफ़ाह-ए-अव्वल की शहि सुर्खियों में डिक्टेटरशिप नहीं चलेगी तहरीर किया। उन्होंने इस्लाम पसंदों का ग़लबा रखने वाले पैनल की जानिब से तैयार करदा नए मुसव्वदे दस्तूर के ख़िलाफ़ एहतिजाजी तर्ज़ अमल इख्तेयार किया है।

बाअज़ अख़बारात बिशमोल अलवतन के रूबरू एक कार्टून चस्पाँ किया गया जिसमें इंसानी ज़ंजीर को कैद में दिखाया गया। अख़बारात ने कल अपने एडीशन शाय ना करने का भी ऐलान किया है । 3 ख़ानगी टी वी चैनल ने भी ये ऐलान किया कि कल कोई प्रोग्राम नशर नहीं किया जाएगा । उन्होंने भी मोर्सी के ख़िलाफ़ अपोज़ीशन जमातों के साथ इत्तिहाद कर लिया ।

इस तरह ये हसनी मुबारक के ज़वाल के बाद अब तक के सबसे बड़े सयासी बोहरान में तब्दील हो चुका है। उन्होंने आज़ाद ख़्याल और ईसाई अरकान को शामिल किए बगैर नए दस्तूर की तदवीन के मोर्सी के फैसले की शदीद मुख़ालिफ़त की। अख़बारात और इज़हार ख़्याल की आज़ादी से मुताल्लिक़ क़ौमी कमेटी ने आज मुनाक़िदा इजलास में कल अख़बारात शाय ना करने का फैसला किया।

अल मसरी अल-यौम ने बताया कि मुत्तफ़िक़ा तौर पर ये क़रारदाद मंज़ूर की गई और टेलीवीज़न स्क्रीन पर भी प्रोग्राम्स नशर ना करने का फैसला किया गया। इससे पहले 1919 में मिस्र में अदलिया की हड़ताल और अख़बारात का ब्लैक आउट उस वक़्त देखा गया था जब सारे मुल्क ने मुत्तहदा तौर पर बर्तानवी सामरा जीत के ख़िलाफ़ मुज़ाहरा किया था।

मिस्र की सुप्रीम कोर्ट ने कल एहतिजाज और जज्स को इमारत में दाख़िल होने से रोकने की मुज़म्मत की और उसे अदलिया के लिए यौम स्याह से ताबीर किया । मुल्क की दीगर अदालतों और ज़ेली अदालतों ने भी इस गैर मुय्यना (अनिश्चित कालीन ) मुद्दत की हड़ताल में शरीक होने का ऐलान किया।

एहतिजाज में मीडिया की शमूलीयत के बाद सदर मर्सी पर दबाव बढ़ गया है जिन्होंने गुज़श्ता हफ़्ता सारे इख़्तेयारात अपने हाथ में लेते हुए फ़रमान जारी किया था । उन्होंने इस फ़रमान के ज़रीया दस्तूर मुदव्वन करने वाले पैनल को तहलील करने से अदलिया को रोक दिया था।