मोहन बाबू और ब्रह्मानन्दंम को पदमाश्री वापिस करने की हिदायत

आंध् प्रदेश हाइकोर्ट ने तेलुगु फ़लमों के दो अदाकारों मोहन बाबू और ब्रह्मानन्दंमको पदमाश्री एवार्ड से मरबूत क़वाइद की ख़िलाफ़वरज़ी पर ये एवार्ड्स फ़िलफेर वापिस करने की हिदायत दी।

बी जे पी लीडर एन इन्द्र सेन रेड्डी की तरफ़ से दायर करदा दरख़ास्त पर समाअत करते हुए चीफ़ जस्टिस कल्याण ज्योति सेन गुप्ता और जस्टिस पी संजय कुमार पर मुश्तमिल थी।

बेंच ने एक फ़िल्म की तशहीर के लिए अपने नामों के साथ पदमाश्री का हवाला दिए जाने का सख़्त नोट लिया। हाईकोर्ट ने इस तास्सुर का इज़हार किया कि मोहन बाबू और ब्रह्माननदम को चाहीए कि वो बावक़ार अंदाज़ में अपने एवार्ड्स हवाले करदें।

ये तनाज़ा उस वक़्त शुरू हुआ जब मोहन बाबू के के बेटे मनशो विष्णु की तरफ़ से 2012 में तैयार शूदा मुतनाज़ा फ़िल्म दीनी कनारीडी की तशहीर के लिए पदमाश्री का हवाला दिया था।

रेड्डी ने इल्ज़ाम लाग‌या था कि इन दोनों सीनीयर अदाकारों ने इस फ़िल्म की कामयाबी और तशहीर के लिए पदमाश्री एज़ाज़ का इस्तेमाल किया था।

इन्द्र सेन रेड्डी ने अख़बारी नुमाइंदों से कहा कि क़वाइद के मुताबिक़ ये एज़ाज़ कोई ख़िताब नहीं है और ना ही इस का अपने नाम के साथ लेटर हैड दावत नामों पोस्टर्स और किताबों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। मोहन बाबू और ब्रह्मानन्दंम को बिलतर्तीब 2007 और 2009 में पदमाश्री एवार्ड्स दिए गए थे। इस मुक़द्दमा की आइन्दा समाअत 30 दिसमबर को मुक़र्रर की गई है।