अब्दुल हमीद अंसारी, कोलकाता
कोलकाता के एक प्रोग्राम में मोहन भागवत का राम मंदिर पर दिये गये बयान पर “इंडियन वलामा काउंसिल” के सदर जनाब “मौलाना अबु तालिब रहमानी” ने कहा कि मोहन भागवत हो या बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी, दोनों इस देश की आईन और दस्तूर से बालतर नहीं है। “ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ” बहुत पहले अपने ख़यालात वाज़े कर चुकी है। इसके दो हि रास्ते हैं, पहला- ये कि आपस में सच्चाई और दलिलो की बुनियाद पर हम साथ बैठकर कोई हल निकाल लें।
लेकिन ” विश्व हिन्दू परिषद ” इसके लिए कभी तैयार नहीं है, वो जानती है कि ऐसा करने से उसकी सियासी खुदकुशी हो जायेगी।
दुसरा – ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि अगर इस तरह से मामला हल नहीं होता है, तो हमारा पुरा एतेमाद सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया पर है, वो जो फैसला करेगी, हम मानेंगे।
चाहें वह हमारे हक़ में हो या हमारे खिलाफ हो।
अब मोहन भागवत जी देश में घुम – घुम कर राम मंदिर का मामला छेड़ रहे हैं, हिन्दूओं के भावनाओं भड़का रहे हैं, इसलिए क्योंकि इस देश की दस्तूर और अदालत पर उनको यकीन नहीं है।
सरकार उनकी है, सुप्रीम कोर्ट में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाये, रोज़ाना सुनवाई शुरू कर दे, छह महीनों में फैसला आ जायेगा।
लेकिन याद रखने वाली बात ये है कि कोर्ट के फैसले को मानने का वादा सिर्फ मुसलमानों ने किया है, संघ परिवार ने अभी तक नहीं किया है, अगर वह इतना देश भक्त हैं और इस देश की एकता इतना ही प्यारी है, तो ऐलान कर दे कि हम कोर्ट का फैसला मानेंगे।