महाराष्ट्र के पुणे में एक आईटी इंजीनियर की हत्या के सिलसिले में बांबे हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों की जमानत मिलने के बाद उसके पिता ने इस पर सख्त ऐतराज जताया ैहै। मोहिसिन शेख के पिता सादिक शेख ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि बांबे हाईकोर्ट का आरोपियों को जमानत देना का फैसला मुझे सही नहीं लगता। क्या भडकाऊ भाषण किसी दुसरे धर्म के इंसान की हत्या की इजाज़त देता है ? मैं पब्लिक प्रोसेक्यूटर और वकील सरकारी एजेंसी से गुजारिश करना चाहुंगा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक ले जाये और इंसाफ हासिल करें।
हाल ही बांबे हाईकोर्ट ने मोहसिन शेख के हत्या के आरोपियों को जमानत दे दी थी। कोर्ट ने जमानत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा था कि कोर्ट ने इन तीन आरोपियों को जमानत देने के पक्ष में कहा आरोपियों का पिछला कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। ऐसा लगता है कि वे धर्म के नाम पर भड़काया गया है। जज मृदुला भाटकर ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहती है कि वारदात की ठीक पहले एक मीटिंग हुई थी। आरोपियों की मृतक से कोई निजी दुश्मनी नहीं थी। ना ही हत्या का कोई मकसद था। मृतक की गलती इतनी थी कि वो किसी अन्य धर्म का था।
गौरतलब है कि जून 2014 में मोदी की सरकार बनने के कुछ ही दिन बाद एक भीड़ ने बर्बरतापूर्वक मोहसिन की हत्या कर दी थी। तब किसी के फेसबुक की वाल पर शिवाजी और बाल ठाकरे की एक जुगुप्सा जगाने वाल फोटो लगाने के बाद भीड़ ने मोहसिन को इसलिए मार डाला। तब इस घटना के प्रति लोगों ने चिंता जताई और चारों तरफ आलोचना हुई थी। अलग-अलग शहरों में इस हत्या के खिलाफ प्रदर्शन हुए।
उस समय सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनकी उम्र उन्नीस से चौबीस थी। पुलिस ने तब बताया था ये लोग हिंदू राष्ट्र सेना के साथ जुड़े हुए थे। अपराध शाखा ने हिंदू राष्ट्र सेना के मुखिया धनंजय देसाई को पूछताछ के लिेए बुलाया था। उसे बाद में एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था।
मोहसिन शेख को उसके घर के नजदीक ही तब मारा गया था जब वह अपने एक दोस्त रियाज के साथ मसजिद से नमाज पढ़ के लौट रहा था। रियाज ने मीडिया को बताया था कि मोहसिन को इसलिए निशाने पर लिया गया कि मुसलिम टोपी पहनी हुई थी और दाढ़ी रखा हुआ था। रियाज ने बताया- ‘मैं घटनास्थल से किसी तरह दौड़ कर भागा और मोहसिन के भाई मोबिन को मदद के लिए बुलाया। हालांकि इस बीच भीड़ ने मोहसिन को मार डाला था।’