मौजूदा हालात में मुसलमानों को प्यार और भाईचारे का प्रदर्शन करना चाहिए: अरशद मदनी

भिवंडी। सभी धर्मों ने शांति और व्यवस्था के साथ जीने के सलीके सिखाए हैं। इस्लाम ने तो नरसंहार से मना कर के अत्याचारियों पर अभिशाप भी किया है, लेकिन आज यहां मानवता को मिटाने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं और सांप्रदायिकता और समुदाय के बीच फूट पैदा करने के लिए बदमाशों ने नापाक इरादे जोर-शोर से शुरू कर दिए हैं, ऐसे में धर्मनिरपेक्ष मानसिकता वाले और देशवासियों को प्यार और भाईचारे का प्रदर्शन करना चाहिए।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के अनुसार कल देर रात भिवंडी में स्थित जमीअत उलेमा ए भिवंडी की ओर से राष्ट्रीय एकता व सुरक्षा संविधान सम्मेलन आयोजित किया गया, जिस में मौलाना सैयद अरशद मदनी ने उक्त बातों का इज़हार किया। मौलाना अरशद मदनी ने सांप्रदायिक ताकतों के नापाक इरादों को देश से मिटाने की देशवासियों और मुसलमानों से अपील की.

उन्होंने कहा कि आज देश में हर जगह सांप्रदायिक ताकतें इतनी सरगर्म हो गई हैं कि समाज में फूट पैदा करना और अशांति फैलाना उनका लक्ष्य हो गया है। कोई भी धर्म नरसंहार की अनुमति नहीं देता है हमें अपनी देश की गंगा-जमनी तहजीब को बरकरार रखना है इसके लिए देशवासियों को आगे बढ़कर मुसलमानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहिए। धर्मनिरपेक्ष भारत में सांप्रदायिक ताकतें देश की सांप्रदायिक सद्भाव को मिटने की कोशिश में लगे हैं।

उन्होंने आतंकवाद के मामलों की तय समाय में सुनवाई पूरी किए जाने की मांग की और महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए बम धमाकों के आरोप में गिरफ्तार किए गए भगवा दलों के आरोपियों की सरकार की ओर से सरपरस्ती किए जाने पर कड़े शब्दों में निंदा की.

उन्होंने कहा कि इन तत्वों की रिहाई से देश भर में अशांति फैलेगी और आतंकी घटनायें प्रक्रिया में आएंगी। राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा संविधान सम्मेलन से सनातन धर्म के संत सत्यनाम दास जी ने भी संबोधित किया और कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव की स्थापना इस देश की जरूरत है। हम सब एक ही अल्लाह की संतान हैं, इसलिए हमें इस धरती पर मिलजुल कर रहना चाहिए। दंगे और बुराइयों से परहेज करना ही हमारा धर्म है।