मौलाना अब्दुल क़वी की गिरफ़्तारी, सारे मुसलमानों की तौहीन

मुहम्मद रज़ी हैदर सीनियर ऐडवोकेट और नेशनल कौंसिल मैंबर आफ़ महाजना सोशलिस्ट पार्टी ने काग़ज़नगर दहशतगर्द मुख़ालिफ़ प्रेस कांफ्रेंस के कन्वीनर हैं।

मौसूफ़ के ज़ेर सरपरस्ती कई मुख़ालिफ़ दहशतगर्द कांफ्रेंस मुनाक़िद किए गए। ऐसे आलमे दीन को दहशतगर्द सरगर्मीयों में शामिल् कर के गिरफ़्तार करना मज़हकाख़ेज़ बात ही नहीं बल्कि सारे मुसलमानों की तौहीन है।

इस से साफ़ ज़ाहिर होता हैके नरेंद्र मोदी , आर एस एस के एजंडे पर अमल कर रहा है जो मुसलमानों के ख़िलाफ़ तहरीकें चला रही है । इस से पहले 2002 में गुजरात में साबिक़ा रुकने पार्लियामेंट एहसान जाफरी के क़त्ल से लेकर बैस्ट बेकरी की बिलकीस तक हज़ारों मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम , मुस्लमान माँ बहनों की इस्मत रेज़ि जैसे घिनाओनी हरकात का मुर्तक़िब भी नरेंद्र मोदी ही है 1992 में बाबरी मस्जिद की शहादत भी आर एस एस के एजंडे में शामिल थी।

आर एस एस ना सिर्फ़ मुसलमानों की दुश्मन है बल्कि एसटी , एससी , बी सी और क्रिस्चिन तबक़ात की दुश्मन बनी हुई है। मज़कूरा तबक़ात की तरक़्क़ी उन्हें बिलकुल ही पसंद नहीं।

इन तबक़ात के साथ इस ने हमेशा सौतेला सुलूक ही किया है। रज़ी हैदर ने कहा कि रियासत आंध्र प्रदेश के मुक़ामात कार्म चीड़ो में माला और माद्दीगाज़ात के अफ़राद को बेदर्दी से क़त्ल कर के उनके जिस्मानी आज़ा को तहसीलों में भरकर तुंगभद्रा नदी में बहा दिया गया था।

ये वाक़िया पसमांदा तबक़ात को इक़तिदार से महरूम रखने की साज़िश है। हिंदुस्तान में मज़कूरा तबक़ात की आबादी 92 फ़ीसद है और आर एस एस के ताल्लुक़ रखने वाले अफ़राद का तनासुब 5 फ़ीसद से भी कम है।

अब ज़रूरत इस बात की हैके तमाम पसमांदा तबक़ात मुत्तहिद होजाएं और ना सिर्फ़ आर एस एस एस बल्कि नरेंद्र मोदी के मकरो फ़रेब का मुंहतोड़ जवाब दें और इक़तिदार हासिल करने में कोई कसर बाक़ी ना रखें।

रज़ी हैदर ने मर्कज़ी हुकूमत से मुतालिबा किया कि मौलाना अब्दुल कवि के केस में मुदाख़िलत करके उन्हें फ़ौरी रिहाई दिलवाईं और मौसूफ़ पर लगाए गए ग़लत और बेबुनियाद इल्ज़ामात वापिस ले लिए जाएं और पाँच करोड़ रुपये तौहीन इज़्ज़त नफ़स के सिलसिले में बतौर मुआवज़ा अदा किया जाये। इस मौके पर हाफ़िज़ मीर रियासत अली हाश्मी , हाफ़िज़ सय्यद ग़ौस , मुहम्मद अरशद अली मुहम्मद सज्जाद अंसारी श्रीनिवास मौजूद थे।