मौलाना अहमद बुख़ारी अपने दामाद तक को कामयाब ना करवा सके

जामा मस्जिद दिल्ली के शाही इमाम मौलाना अहमद बुख़ारी ने जो अटल हिमायत कमेटी के सरगर्म रुकन रह चुके हैं, इस बार इंतेख़ाबात में समाजवादी पार्टी की ताईद का ऐलान किया था। मौलाना अहमद बुख़ारी मुस्लमानों में किस हद तक ग़ैर मक़बूल हो चुके हैं इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि अपने दामाद को मग़रिबी यूपी के बेस्ट असेंबली हलक़ा से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर इंतेख़ाबात में कामयाब करवाने में नाकाम रहे।

यहां से बी एस पी के उम्मीदवार को कामयाबी हासिल हुई। मौलाना अहमद बुख़ारी की अब किसी अपील पर कोई मुस्लमान कान धरने को तैयार नहीं है। इसकी शोहरत आम मुस्लमानों में मज़हबी आलम के बजाय सयासी आलम के तौर पर ज़्यादा है। मौलाना बुख़ारी हर इलेक्शन में मुस्लिम वोटों की सौदागरी करने के लिए निकल पड़ते हैं।

वो माज़ी में बी जे पी की अटल बिहारी हुकूमत, गुजरात के वज़ीर-ए-आला नरेंद्र मोदी के लिए भी वोट की अपील कर चुके हैं। फिर इलेक्शन में इनकी सयासी पार्टीयां बदल जाती हैं। ज़ाती तौर पर मौलाना बुख़ारी ने मुस्लमानों के नाम पर हर तरह के सयासी फ़वाइद हासिल किये हैं।