मौलाना आक़िल के बेटे मौलाना जाफ‌र पाशा ने यूनाइटेड मुस्लिम फ़ोर्म से अलग होने का फैसला किया

हैदराबाद : मोदी आभरकयादत केंद्र की भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए और कोई राजनीतिक दल शक्ति रखती है तो वह सिर्फ‌ काँग्रेस और टीआरएस अगले साल एनडीए का हिस्सा बनते हुए मोदी को प्रधानमंत्री बनने में मदद कर सकती है ‘कुछ ऐसे ही विचारों पर मुसलमानों की प्रतिनिधि संगठन यूनाइटेड मुस्लिम मंच में आज फूट पड़ गई।

मुस्लिम जमात अगर इन सब स्थितियों से परिचित होने के बावजूद अपना समर्थन‌ टीआरएस से जोडे हुए है और अपना फैसला मुस्लिम राष्ट्र मोर्चे पर थोप दिया है ‘जिसके परिणाम आज यूनाइटेड मुस्लिम मंच में पाए जाने वाले मतभेद सामने आ गए। बानी इमारत मिल्लत-ए-इस्लामीया-ओ-फ़ोर्म के अध्यक्ष‌ मौलाना हमीदुद्दीन आक़िल हुस्सामी के बेटे मौलाना जाफ़र पाशाह ने फ़ोर्म से अलग होने का फैसला कर लिया है।

पार्टी की ओर से तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ दोस्ताना प्रतिस्पर्धा और टीआरएस पूर्ण समर्थन की घोषणा के बाद से ही यह बाते चल‌ रही थीं कि राज्य में मुसलमानों की प्रतिनिधित्व मंच के प्रतिनिधित्व से इन स्थितियों में संयुक्त राष्ट्र रूप में कोई निर्णय की संभावना नहीं है लेकिन हालिया अर्सा में डिप्टी चीफ मिनिस्टर महमूद अली की मंच के नेताओं से मुलाकात के दौरान मंच से उठाए गए मुद्दों के बाद यह बात साफ हो गई थी कि मंच स्थानीय पार्टी के इशारों पर कोई निर्णय नहीं होगा बल्कि अपने दम पर निर्णय करने की कोशिश की जाएगी ताकि मंच की प्रतिष्ठा शेष रहे और मंच में शामिल व्यक्तियों के महत्व में वृद्धि हो लेकिन मौलाना जाफर पाशा के अलावा अन्य लोगो की ओर से तेलंगाना राष्ट्र समिति सरकार शैली प्रदर्शन सरज़निश के बाद जो हालात उत्पन्न हुए है देखते हुए मौलाना जाफर पाशा के कदम की सराहना की जा रही है और मंच के अन्य नेताओं की ओर से यह भी कहा जा रहा है कि मंच किसी राजनीतिक दल के उपकरण कार के रूप में काम नहीं कर सकता।

यूनाइटेड मुस्लिम मंच के ज़िम्मेदारों ने मौलाना जाफर पाशा मंच से अलग होने की पुष्टि कर दी है लेकिन साथ में यह भी कहा जा रहा है कि मंच कोई ऐसी संस्था नहीं है कि इसमें आधिकारिक इस्तीफा देने की जरूरत है लेकिन मौलाना जाफर पाशा ने तेलंगाना राष्ट्र समिति की अंधी समर्थित के सिलसिले में डाले जाने वाले दबाव को स्वीकार करने से इनकार करते हुए मंच से अलग होने का फैसला किया है। और उनका तर्क था कि मंच से संबंध रखने वाली पार्टियों और संगठनों की ओर से कोई पद स्वीकार न करने का फैसला किया गया था और अब मंच में शामिल दो महत्वपूर्ण संगठनों के ज़िम्मेदारों ने सरकारी पद हासिल किए हैं जिस पर जोड़ें नहीं आपत्ति थी और वह पिछले कई दिवस से इस सिलसिले में मंच के अन्य अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे।

बताया जाता है कि मौलाना जाफर पाशा से पिछले दिनों तेलंगाना तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष रमना ‘राज्य सचिव कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया कामरेड चाडा वेंकट रेड्डी के अलावा विपक्ष के नेता तेलंगाना कानून कौंसिल मुहम्मद अली शब्बीर ने मुलाकात की थी और आज मंच के नेताओं राष्ट्रपति पीसीसी कैप्टन उत्तम कुमार रेड्डी और मुहम्मद अली शब्बीर से मुलाकात के दौरान आयोजित बैठक में भी मौलाना मुहम्मद जाफर पाशा की अनुपस्थिति के कारण, ऐसा कहा जाता है कि वे हैं सूजन गतिविधियों से खुद को दूर रखने का फैसला किया है।

मंच के कुछ लोगो का कहना है कि कांग्रेस नेताओं से मुलाकात के दौरान मौलाना जाफर पाशा की अनुपस्थिति उनकी व्यक्तिगत व्यस्तताओं के कारण रही जबकि उनके करीबी सहयोगियों ने इस बात की पुष्टि कर दी कि उन्होंने मंच के महत्वपूर्ण नेताओं को अपने फैसले से अवगत करवा दिया है इस सिलसिले में पुष्टि के लिए मौलाना जाफर पाशा उनका मोबाईल बंद होने के कारण सीधे बातचीत नहीं हो पाई है लेकिन उनके इस फैसले के विभिन्न लोगो विशेषकर उलेमा ग्रहण से स्वागत करते हुए यह कहा जा रहा है कि हालिया अर्सा में मौलाना मुहम्मद हुसाम उद्दीन सानी जाफ़र पाशाह ने मौलाना मुहम्मद आक़िल हसामी के बे-बाकाना फ़ैसलों याद ताज़ा कर दी है और उनसे भविष्य में भी इसी तरह के बे बाकाना और जरा फैसलों की उम्मीद जताई जाने लगी हैं।