मौलाना आज़ाद और सर सय्यद की तालीमी ख़िदमात नाकाबिले फरामोश

महबूबनगर 05 दिसंबर (सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़) मदीना पब्लिक लाइब्रेरी और कारी साहिब स्टूडैंटस ऐंड फ्रेंड्स कौंसल के ज़ेर-ए-एहतिमाम महबूबनगर के ग़ालिब हाल में एक जल्सा-ए-आम बउनवान सर सय्यद अहमद ख़ां-ओ-मौलाना आज़ाद की मिली-ओ-सयासी ख़िदमात का इनइक़ाद अमल में आया। जलसा की सदारत बुज़ुर्ग क़ाइद जनाब मुहम्मद अबद अलसलीम मालिक अज़ीज़ ये लाज ने की। जलसा का आग़ाज़ हाफ़िज़ मुजतबा रज़ा की करा-ए-त कलाम पाक से हुआ। बादअज़ां जनाब सय्यद कलीम-उल-लाह हुसैनी ने नाअत शरीफ़ पेश की। जलसा को मुख़ातब करते हुए जनाब सय्यद नूर-उल-हसन मोतमिद ईदगाह कमेटी महबूबनगर ने कहा कि मौलाना आज़ाद मक्का मुकर्रमा में पैदा हुए और वहीं तालीम-ओ-तर्बीयत पाई, इसी लिए मौलाना आज़ाद के ख़ताबात और तफ़सीरें जज़बा जिहाद और ग़लबा हक़ की तहरीक बड़ी ही असर अंगेज़ थी। मुहम्मद अबद उलहादी ऐडवोकेट ने अपने ख़िताब में कहा कि मौलाना आज़ाद और सर सय्यद अहमद ख़ां दोनों का बड़ा कारनामा ये रहा कि इन दोनों ने ना सिर्फ जंग-ए-आज़ादी के लिए तमाम ज़ातों को मुत्तहिद किया, बल्कि माबाद आज़ादी आज़ाद हिंदूस्तान की बेहतर हुक्मरानी के लिए क़ौम-ओ-मिल्लत को असरी तालीम के लिए वक़्त के तक़ाज़ों के मुताबिक़ तालीम के इंतिज़ामात किए और कई कॉलिजस क़ायम किये । दाई जलसा जनाब अहमद हारून रशीद ऐडवोकेट मोतमिद मदीना पब्लिक लाइब्रेरी ने अपने ख़िताब में कहा कि मौलाना आज़ाद ने बहैसीयत वज़ीर-ए-ताअलीम असरी साईंसी उलूम के लिए तहक़ीक़ी अदारी, सनअती तरक़्क़ी-ओ-पैदावार के लिए सनअती-ओ-साईंसी इदारे और फ़िज़ाई-ओ-मिज़ाईल सिस्टम से हिंदूस्तान को आरास्ता करने के लिए एरोनाटीकल रिसर्च इंस्टीटियूट भी क़ायम किया, इस तरह मौलाना अब्बू उल-कलाम आज़ाद के इदारों से जनाब ए पी जे अबद उल-कलाम जैसे हीरो आफ़ नेशन पैदा हुए और अलीगढ़ कॉलिज-ओ-यूनीवर्सिटी से मुल्क-ओ-क़ौम को बेहतरीन अदीब, शायर, हुक्काम, असातिज़ा और क़ाइदीन के बेशबहा टेलैंट मिलता रहा। आख़िर में अलीगढ़ यूनीवर्सिटी के साबिक़ तालिब-ए-इल्म सलीम पाशाह ने अलीगढ़ यूनीवर्सिटी के क़ियाम में सर सय्यद की क़ुर्बानीयों और वहां के तालीमी माहौल और मयार पर तफ़सीली रोशनी डाली। अदबी इजलास के बाद एक ग़ैर तुरही मुशायरा मुनाक़िद किया गया, जिस की सदारत बुज़ुर्ग शाय जनाब ज़हीर नासरी ने की, जिस में जनाब ज़हीर नासरी के इलावा हलीम बाबर, अंजुम बिरयानी, इस्माईल क़ैसर वग़ैरा ने हिस्सा लिया। जनाब अहमद हारून रशीद के शुक्रिया पर महफ़िल इख़तताम को पहुंची