हैदराबाद 17 अक्टूबर: मुल्क की पहली क़ौमी उर्दू यूनीवर्सिटी के नए वाइस चांसलर के तक़र्रुर पर यूनीवर्सिटी के हलक़ों में मायूसी का इज़हार किया जा रहा है।
बताया जाता हैके मर्कज़ी हुकूमत ने वाइस चांसलर के तक़र्रुर के सिलसिले में यूनीवर्सिटी के चांसलर ज़फ़र सुरेश वाला के सिफ़ारिश करदा नामों को नजरअंदाज़ कर दिया और डॉ असलम परवेज़ प्रिंसिपल ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज को नया वाइस चांसलर मुक़र्रर कर दिया।
इस सिलसिले में सदर जमहूरीया की मंज़ूरी के बाद यूनीवर्सिटी को इत्तेला दी गई। चांसलर ज़फ़र सुरेश वाला ने अगरचे इस तक़र्रुर का ख़ौरमक़दम किया ताहम उनका कहना हैके उनकी तर्जीह एक साइंटिस्ट और तजरुबाकार एडमिनिस्ट्रेटर की थी। वो चाहते हैंके यूनीवर्सिटी को तरक़्क़ी की नई मंज़िलों की तरफ़ ले जाने के लिए एक तजरुबेकार शख़्सियत की ज़रूरत थी और तलबा को असरी कोर्सेस से मुतआरिफ़ करने के लिए वो एक साईंसदाँ के हक़ में थे लेकिन सदर जमहूरीया ने जिस नाम को मंज़ूरी दी है वो उसे क़बूल करते हैं।
डॉ असलम परवेज़ का नाम तीसरा था लेकिन सदर जमहूरीया ने तीसरे नाम को मंज़ूरी देते हुए तमाम को हैरत में डाल दिया है। ज़फ़र सुरेश वाला भी चाहते थे कि प्रोफेसर सिराज उल रहमान या फ़ैज़ान मुस्तफ़ा में से किसी एक का इंतेख़ाब हो। लेकिन बताया जाता हैके नाम को मंज़ूरी देने से पहले वज़ारत फ़रोग़ इन्सानी वसाइल ने उनसे कोई मुशावरत नहीं की। उनके अलावा यूनीवर्सिटी के असातिज़ा भी नए तक़र्रुर से मायूस दिखाई दिए।
चांसलर ज़फ़र सुरेश वाला ने सियासत से बातचीत करते हुए कहा कि नए वाइस चांसलर से वो हालिया अरसे में यूनीवर्सिटी में किए गए तक़र्रुत, यूनीवर्सिटी मौजूदा सूरत-ए-हाल, मुख़्तलिफ़ कोर्सेस की ग़ैर मुस्लिमा हैसियत और पिछ्ले बरसों में यूनीवर्सिटी की सरगर्मीयों में तफ़सीली रिपोर्ट तलब करेंगे।
उन्होंने अफ़सोस का इज़हार किया कि पिछ्ले 17 बरसों में यूनीवर्सिटी ने कोई ख़ास पेशरफ़त नहीं की और मुल्क के 8 शहरों में वाक़्ये कैम्पस अबतर हालत में हैं।