मौक़ूफ़ा ज़मीन पर बने हैदराबाद एयरपोर्ट पर सबसे ज्यादा फीस

राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इंतिज़ामिया के बारे में एयरपोर्ट की तामीर के आग़ाज़ के साथ ही कई शिकायतें मंज़र-ए-आम पर आई हैं। सब से अहम शिकायत तो ये है कि क़ीमती मौक़ूफ़ा अराज़ी पर तामीर किये गये एयरपोर्ट के अंदरूनी हिस्से में मौजूद मस्जिद हज़रते उमर फ़ारूक़ को शहीद किया गया और चोरी पे सीना ज़ोरी के मिस्दाक़ मुस्लमानों को एयरपोर्ट के अहातए में नमाज़ों की अदायगी के लिए खुले शामियाने नसब करने की इजाज़त तक नहीं।

दूसरी जानिब जी एम आर पर शहरियाने हैदराबाद इस बात पर भी बरहम हैं कि हर साल इस एयरपोर्ट से तक़रीबन 8000 आज़मीन-ए-हज सआदते हज के लिए जाते हैं, लेकिन उन पर एयरपोर्ट इंतिज़ामीया यूज़र्स चार्जेस के नाम पर इज़ाफ़ी बोझ आइद कर देता है जिसके नतीजे में ग़रीब और मुतवसित तबक़े से ताल्लुक़ रखने वाले आज़मीन को एक नई मुसीबत का सामना करना पड़ता है। इस बारे में अवाम की तशवीश से जी एम आर को बार बार वाक़िफ़ करवाया गया, लेकिन वो अपनी हटधर्मी पर क़ायम रहा।

अगर 8000 आज़मीन-ए-हज से यूज़र्स चार्जेस के नाम पर फी कस 1800 रुपये वसूल किए जाएं तो उसे सिर्फ़ आज़मीन से 14400000 रुपये वसूल होंगे। आज़मीन के साथ जी एम आर की इस नाइंसाफ़ी को रोकने रियासती वज़ीर-ए-अक़लियती बहबूद ने रियासती हज कमेटी और मुख़्तलिफ़ तंज़ीमों ने राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इंतिज़ामीया को बार बार इस जानिब तवज्जे दिलाई, लेकिन तमाम नुमाइंदगियाँ लाहासिल रहें।

अवामी शिकायात के पेशे नज़र राक़िम उल-हरूफ़ राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ साथ दफ़्तर रियासती हज कमेटी का दौरा करते हुए तफ़सीलात मालूम करने की कोशिश की। दफ़्तर रियासती हज कमेटी में हमारी बातचीत अबदुल हमीद चीफ़ एकज़िकेटिव ऑफिसर हज कमेटी से हुई,. जिन्होंने बताया कि जहां तक एयरपोर्ट यूज़र्स चार्जेस का सवाल है गुज़िश्ता साल जी एम आर एयरपोर्ट अथॉरीटी रियासती आज़मीन से फी कस तक़रीबन 900 रुपये वसूल किया करती थी, लेकिन अब बाज़ाबता तौर पर रियासती हज कमेटी पर वाज़िह कर दिया गया है कि उसने यू डी एफ़ (यूज़र्स डेवलपमेन्ट फ़ीस) में इज़ाफ़ा कर दिया है। हैरत की बात ये है कि इस फ़ीस में कोई मामूली इज़ाफ़ा नहीं किया गया बल्कि इसे दोगुना कर दिया गया। इसी तरह अब शम्स आबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जाने वाले आज़मीन को जुमला 1800 रुपये बतौर यूज़र डेवलपमेन्ट फ़ीस अदा करने होंगे जबकि मौक़ूफ़ा अराज़ी पर क़ायम उस एयरपोर्ट के इंतिज़ामिया से विज़ारते अक़लियती बहबूद ने नुमाइंदगी करते हुए उसे एक्ज़िकेटिव ऑफिसर रियासती हज कमेटी के तहरीर करदा मकतूब की नक़ल भी रवाना की जिस में आज़मीन-ए-हज के लिए यू डी एफ़ में कमी की दरख़ास्त की गई थी।

इस मकतूब में बताया गया कि हज बराए साल 2013 की अदायगी के लिए रियासत से 8000 आज़मीन-ए-हज रवाना हो रहे हैं।उनमें कर्नाटक के बाअज़ अज़ला जैसे बीदर, गुलबर्गा और यादगिर से ताल्लुक़ रखने वाले आज़मीन भी शामिल हैं। हज की परवाज़ें सितंबर / अक्टूबर से शुरू होने वाली हैं और आज़मीन शमस आबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मदीना मुनव्वरा और जद्दाह सऊदी अरब के लिए रवाना होंगे।