म्यांमार में मुसलमानों को ढूंढ कर हलाक करने बुद्धिस्ट टोलियां सरगर्म

यांगून 30 मई: म्यांमार के शुमाली टाउन लसीहो में आज दूसरे दिन भी बुद्धिस्ट नौजवानों ने सड़कों और गलीयों में गशत लगाते हुए मुसलमानों को ढूंढ ढूंढ कर हलाक करने की कोशिश की।

मुसलमानों की जायदादों पर हमले किए गए। एक मस्जिद और एक यतीमख़ाने को जलाय‌ गया। बर्मा के नए इलाक़ों तक गुरु ही फ़साद फैल गया है।

बुद्धिस्टों के नौजवान हाथों में लाठीयां, तलवारें और दुसरे तेज़ धारी हथियार लिए सड़कों पर घूमते हुए मुसलमानों को तलाश कररहे हैं। पुलिस के मुताबिक़ इन नौजवानों ने इस अफ़्वाह के बाद कि मुसलमानों ने एक बुद्धिस्ट ख़ातून को आग लगा दी है, घुस्सा होकर सड़कों पर निकल कर निशाना बनाना शुरू कर दिया।

मुसलमानों की जायदादों और तिजारती इदारों पर हमले किए गए। इस कार्रवाई में कम अज़ कम एक मुस्लिम नौजवान हलाक हुआ। पुलिस का कहना हैके म्यांमार में बुद्धिस्टों और मुसलमानों के दरमयान हालिया महीनों के दौरान ज़बरदस्त झड़पें हुई हैं।

बर्मा के शुमाली मशरिक़ी रियासत शान के दार-उल-हकूमत लसीहो में फ़साद भड़क उठा है। चहारशंबे के दिन फूट पड़ने वाले ताज़ा फ़साद के दौरान मुसलमानों का भारी नुक़्सान हुआ है।

पुलिस और फ़ौज ने सूरत-ए-हाल को क़ाबू में करने की कोशिश की है। दोपहर दो बजे शुरू हुए फ़साद में चार अफ़राद ज़ख़मी होगए। मज़हबी इमारतों को नुक़्सान पहुंचाना और फ़िर्कावाराना फ़साद फैलाना बुद्धिस्टों का मक़सद बन गया है।

मार्च में 43 अफ़राद हलाक हुए थे। फ़साद फूट पड़ने के बाद पिछले माह मुक़ामी अदालत ने एक दुकान के मालिक और दुसरे 9 मुसलमानों को जेल की सज़ा सुनाई थी।

पिछ‌ले साल रियासत रुकीने में नसली फ़साद भड़क उठा था जिस में तक़रीबन 200 अफ़राद हलाक हुए थे और हज़ारों मुसलमानों को बेघर होना पड़ा था।

रोहनगया के मुसलमान डेरें या आरिज़ी कैम्पों में मुक़ीम हैं। इंसानी हुक़ूक़ ग्रुप ने म्यांमार के हुक्काम पर शदीद तन्क़ीद की हैके इस ने फ़साद पर क़ाबू पाने के लिए कोई हरकत नहीं की।

लसीहो के एक सियासतदां साई मैनिट मांग ने कहा कि बुद्धिस्टों के हुजूम ने इबतिदाई तौर पर एक पुलिस स्टेशन के बाहर जमा होकर बुद्धिस्ट ख़ातून को आग लगाने के लिए ज़िम्मेदार शख़्स को गिरफ़्तार करने का मुतालिबा करते हुए उनके हवाले करने पर ज़ोर दिया।

इस हमले की तसदीक़ नहीं हुई। अलबत्ता मुस्लिम न्यूज़ वैब साईट ने बताया कि बुद्धिस्ट ख़ातून पर हमला करने वाला ग़ैर मुस्लिम था। हुकूमत ने भी आज के फ़साद की फ़ौरी तौर पर मज़म्मत की है और कहा हैके मज़हबी मुक़ामात को नुक़्सानात पहुंचाना और फ़साद भड़काना जमहूरी मुआशरा के लिए मुनासिब नहीं है।