मर्दुम शुमारी करने वाले लाखों कारकुन आज पूरे म्यांमार में फैल गए ताकि साबिक़ फ़ौजी हुकूमत के ज़ेरे इक़्तेदार मुल्क में गुज़िश्ता 30 साल के दौरान पहली बार मर्दुम शुमारी की जा सके, ताहम म्यांमार में अब तक फ़िर्कावाराना कशीदगी पाई जाती है।
12 रोज़ा मर्दुम शुमारी स्कूली असातिज़ा और मुक़ामी ओहदेदारों की जानिब से की जा रही है। 1983 के बाद ये पहला मुल्कगीर सर्वे है, लेकिन मर्दुम शुमारी पर कई एतराज़ भी किए जा रहे हैं।
रियासत राखेन में खूंरेज़ मज़हबी फ़सादाद हो चुके हैं जिस की वजह से यहां की आबादी का बड़ा हिस्सा जो रोहंगिया मुसलमानों पर मुश्तमिल है, अपने नाम दर्ज नहीं करवा सका।