मज़हब की बुनियाद पर नौजवान को मुलाज़िमत से महरूम करने की नजमा नजमा हेपतुल्ला की मज़म्मत

नई दिल्ली

मर्कज़ी वज़ीरे बराए अक़िलीयती उमूर नजमा नजमा हेपतुल्ला ने आज एमबीए कामयाब नौजवान को मज़हब की बुनियाद पर मुलाज़िमत से एक कंपनी की जानिब से मुबय्यना तौर पर इसके मुस्लिम होने की वजह से महरूम करदेने के वाक़िया की मज़म्मत की और कहा कि दस्तूर तमाम के लिए मुसावी मौक़े की तमानीयत देता है और उन की ख़िलाफ़वरज़ी के साथ सख़्ती से निमटा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ये वाक़िया नहीं होना चाहिए था। उन से इस वाक़िये के बारे में तबसरा करने की ख़ाहिश की गई थी। उन्होंने कहा कि हर शहरी दस्तूर का पाबंद है और हर शख़्स को अपने उसूलों का पाबंद होना चाहिए। इस बात को यक़ीनी बनाना चाहिए कि ज़ात पात, फ़िर्क़ा, ज़बान और सिनफ़ की बुनियाद पर किसी से कोई तास्सुब ना बरता जाये। उन्होंने कहा कि अगर कोई दस्तूर के इन उसूलों और हिदायात की ख़िलाफ़वरज़ी करता है तो हमारे मुल्क में क़ानून मौजूद है और उनका एहसास है कि अदलिया क़तई तौर पर ग़ैर मुतअस्सिब है और ये बहुत अच्छी बात है।

मर्कज़ी वज़ीर‍-ए‍-अक़लीयती उमूर अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत कर रही थीं। इंतेज़ामीया के ग्रेजूएट ज़ीशान अली ख़ान ने एक हीरे बरामद करनेवाली कंपनी में 19 मई को दरख़ास्त दी थी। इसके बमूजब उसे अंदरून पंद्रह मिनट जवाब हासिल हो गया कि कंपनी सिर्फ़ ग़ैर मुस्लिम उम्मीदवारों को मुलाज़िमत देती है।

उसकी दरख़ास्त पर क़ौमी अक़िलीयती कमीशन ने मुताल्लिक़ा कारोबारी घराने से इस बारे में वज़ाहत तलब की। इस सवाल पर कि क्या इस सिलसिले में किसी क़ानूनसाज़ी की ज़रूरत है? मर्कज़ी वज़ीर बराए अक़लीयती उमूर नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि दस्तूर पहले ही अज़ीमतरीन क़ानूनसाज़ी है, जिस को आज़ादी के वक़्त हम मंज़ूरी दे चुके हैं।

हमें किसी ताईदी क़ानून की ज़रूरत नहीं है। दस्तूर अज़ीमतरीन तहफ़्फ़ुज़ है, जो हर शहरी को इन उसूलों की ख़िलाफ़वरज़ी की सूरत में हासिल है, ताहम कंपनी ने वज़ाहत करदी है कि ये एक ग़लती है, जो एक एच आर ज़ेर-ए-तरबीयत शख़्स की जानिब से की गई है और इस के ख़िलाफ़ मुनासिब कार्रवाई की जा रही है।

कंपनी ने इस ज़ेर-ए-तरबीयत शख़्स के नाम का इन्किशाफ़ नहीं किया । मर्कज़ी हुकूमत का रद्द-ए-अमल भी एसा मालूम होता है कि सिर्फ़ आँसू पोंछने की कोशिश है।