कोच्चि , 13 दिसंबर: (एजेंसी) एक मुस्लिम लड़के के तरफ से अपना मज़हब बदल कर हिंदू लड़की से शादी करने को मद्रास हाईकोर्ट ने गैर कानूनी करार दिया है। कोर्ट ने अपने हुक्म में कहा है कि मज़हब बदल लेने का मकसद शादी को आसान बनाना है, जो कानून की नजर में गैर कानूनी है।
जस्टिस सी कुरिअकोस और जस्टिस मैथ्यू पी जोसफ की बंच ने अपने हुक्म में कहा है कि लड़की बालिग है और जब तक उसकी शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत नहीं हो जाती है तब तक वह लड़की अपने वलदैन के घर रह सकती है।
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने एक मुस्लिम लड़के का मज़हब बदलवा देने के बाद इसकी शादी हिंदू लड़की से करवाई थी। इतना ही नहीं वीएचपी ने उस लड़के को इसका ( मज़हब बदल जाने) सर्टिफिकेट भी दिया था और मैरिज सर्टिफिकेट मशहूर मंदिर कलूर की तरफ से जारी किया गया था। जब यह मामला हाईकोर्ट के सामने आया तो कोर्ट ने शादी के लिए मज़हब तबदील कर देने को मानने से इनकार कर दिया। बंच ने अपने हुक्म में जोड़े (Couple) से कहा कि उन्हें शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के मुताबिक रजिस्टर करवानी होगी।
गौरतलब है कि कोल्लम जिले के शैजू एम ने कोर्ट में दर्खास्त दाखिल कर इल्ज़ाम लगाया था कि उसकी बीवी अश्वाथी रवींद्रन को उसके चाचा और वालिद ने घर में बंद कर रखा है। कोर्ट के हुक्म के बाद अश्वाथी को बुलाया गया। अश्वाथी ने कोर्ट को बताया कि उसने 14 नवंबर को कलूर के श्री महादेव मंदिर में शैजू से शादी की थी।
शादी से पहले शैजू को वीएचपी के लोगों ने इस्लाम से हिंदू मज़हब मे तबदील करवाया था।
अश्वाथी के वालिद के रवींद्रन ने कहा कि शैजू रातों रात मुसलमान से हिंदू बन गया। रवींद्रन ने दो खानदानो के बीच सामाजिक और माली हालात का भी हवाला दिया। कोर्ट ने पूरा मामला सुनने के बाद कहा कि हम इस तरह के मज़हब बदल लेने पर भरोसा नहीं कर सकते। वह भी तब जब किसी तंज़ीम (वीएचपी) ने करवाया हो। शैजू ने कोर्ट से कहा कि हम स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी के लिए तैयार हैं।