नई दिल्ली 24 मई: अवाम के लिए सोने के जे़वरात की ख़रीदारी अब मुश्किल हो जाएगी। हुकूमत ने यक्म जून से टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) पर अमल आवरी का फ़ैसला किया है जिसके नतीजे में हिन्दुस्तान में तक़रीबन 40 फ़ीसद जे़वरात की तिजारत मुतास्सिर होने का इमकान है।
टीसीएस के तहत सोने की ख़रीदारी पर PAN कार्ड लाज़िमी है। जारीया साल हुकूमत ने दो लाख रुपये और इस से ज़ाइद नक़दी लेन-देन पर एक फ़ीसद टीसीएस नाफ़िज़ करने का फ़ैसला किया था उनमें लग्झरी आइटम्स जैसे जे़वरात की ख़रीदी शामिल है और इस का मक़सद काले धन पर क़ाबू पाना है।
हुकूमत ने जो रहनुमायाना हिदायात जारी की हैं उनके तहत सारी रक़म अगर नक़द अदा की जाये तो एसी सूरत में भी टीसीएस ज़रूरी होगा। उस का मतलब ये है कि अगर कोई शख़्स पाँच लाख रुपये मालियती जे़वरात की ख़रीदारी करे और 4.5 लाख रुपये ज़रीया चैक अदा करते हुए माबक़ी 50,000 रुपये की रक़म नक़द अदा करे तो एसी सूरत में उसे मुकम्मिल रुकमी लेन-देन यानी 5 लाख रुपये पर एक फ़ीसद टीसीएस अदा करना होगा।
हुकूमत ने दो लाख रुपये और इस से ज़ाइद मालियती जे़वरात-ओ-सराफा की फ़रोख़त पर टीसीएस लागू है। ज्वेलरी और सराफा डीलर्स को माहाना असास पर टीसीएस अदा करने और दो लाख रुपये और इस से ज़ाइद मालियती जे़वरात ख़रीदने वाले सारिफ़ीन का PAN नंबर के साथ डेटा तैयार करके हुकूमत को पेश करने की हिदायत दी।
ये डेटा सालाना बुनियादों पर टैक्स हुक्काम को पेश किया जाएगा। जेम्स ऐंड ज्वेलरी शोबे से वाबस्ता ओहदेदार ने बताया कि हुकूमत के इन क़वाइद की वजह से जे़वरात की फ़रोख़त पर काफ़ी मनफ़ी असर पड़ेगा क्युं कि दो लाख और ज़ाइद की ख़रीदी करने वाले सारिफ़ीन की तादाद तक़रीबन 30 फ़ीसद होती है।