यतीमख़ाना ममता घर में 21 यतीम और यसीर लड़कीयों की देख-भाल

हैदराबाद 3 जून – हमारे प्यारे प्यारे नबी सल्लल्लाह अलैहि सल्लम ने उमत्तों को यतीमों के साथ हुस्न सुलूक का हुक्म दिया है। यतीमों यसीरों से शफ़क़त, उन के माल की हिफ़ाज़त के बारे में कई अहादीस आई हैं। हम ने अपनी रिपोर्ट्स में कई मर्तबा इस बात का शिकवा किया था कि ग़ैर मुस्लिम बिलख़ुसूस ईसाई तंज़ीमों की बनिसबत मुस्लिम तंज़ीमें फ़लाही कामों से दूर रहती हैं हालाँकि ख़िदमते ख़ल्क़ की हमारे दीन में बहुत ज़्यादा एहमीयत है।

ताहम हमें ये जान कर ख़ुशी हुई कि मिल्लत में ऐसी कुछ तंज़ीमें हैं जो बड़ी ख़ामूशी के साथ यतीमों और यसीरों के चेहरों पर मुस्कुराहटें बिखेरने उन की दिलजोई करने उन्हें ज़ेवरे तालीम से अराइस्ता करने उन्हें अख़लाक़ और किरदार से मुज़य्यन करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रख रही हैं।

शहर से 30 ता 35 किलो मीटर के फ़ासले पर ममता घर नामी एक यतीमख़ाना है जहां 21 मासूम मुस्लिम यतीम और यसीर लड़कीयों को रखा गया है जहां उन के खाने-पीने, तालीम और तर्बीयत का ख़ुसूसी इंतेज़ाम किया गया है। ममता घर दरअसल अमरीका में मुक़ीम चंद हिंदुस्तानी बाशिंदों की क़ायम कर्दा फ़लाही तंज़ीम आई एम आर सी की एक इकाई है और ये यतीमख़ाना साहित्या ट्रस्ट के ज़ेरे इंतेज़ाम चलाया जाता है।

हम ने मुईनाबाद पहूंच कर देखा तो यक़ीन ही नहीं आया कि हमारे मुल्क में इस तरह के यतीमख़ाना भी हो सकते हैं। हमारे सामने आर सी सी की एक ख़ूबसूरत तीन मंज़िला इमारत ठहरी हुई थी। यतीमख़ाना में फ़िलवक़्त चार साल से लेकर 13 साल उम्र की लड़कीयां मुक़ीम हैं जिन्हें आई एम आर सी के तहत चलाए जा रहे इंतिहाई असरी चैलेंजर इंटरनेशनल स्कूल में तालीम दिलाई जा रही है।

ये स्कूल तमाम असरी सहूलतों से आरास्ता है। जबकि ममता घर यतीमख़ाना में इन लड़कीयों को सेहत बख़्श ग़ज़ाएं, अदवियात और मुफ़्त तालीम दी जाती है। हम ने देखा कि इस यतीमख़ाना में मुक़ीम लड़कीयों के लिए दीनी ताअलीम का भी ख़ुसूसी बंदोबस्त किया गया है। हैदराबाद में आई एम आर सी के प्रोजेक्ट मैनेजर हाफ़िज़ इरफान ने बताया कि जनाब मंज़ूर ग़ौरी इस के सरबराह हैं जबकि सय्यद अनीस उद्दीन चीफ़ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर हैं।

ये तंज़ीम हिंदुस्तान के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों में आफ़ात समावी और फ़सादाद के दौरान मुतास्सिरीन की मदद के लिए पहूंच जाती है। आसाम फ़सादाद के दौरान भी आई एम आर सी ने बिला लिहाज़ मज़हबो मिल्लत मदद की। उन्हें अदवियात बलेंकेट्स और दीगर सामान फ़राहम किया। हाफ़िज़ इरफान ने बताया कि इस यतीमख़ाना में मुक़ीम लड़कीयों को सुबह में इडली, वडा, पूरी, खिचड़ी,चटनी और निहारी खाने में दी जाती है और टिफिन में दाल चावल सब्ज़ी तरकारी की बिरयानी वग़ैरा दिए जाते हैं।

रात में दूध अंडा बिरयानी ख़ोरमा सालन और एक मीठा या होर्लिक्स दिया जाता है। साथ ही इन बच्चों को हर माह एक मर्तबा तफ़रीह के लिए किसी अच्छे तफ़रीही मुक़ाम पर ले जाया जाता है। जबकि उन यतीम बच्चों के सरपरस्त हर इतवार को उन से मुलाक़ात करते हैं।

लड़कीयों को वार्डन की हैसियत से रखा गया है जो बच्चीयों का ख़ुसूसी तौर पर ख़्याल रखती हैं। यतीमख़ाना में दस साल से कम उम्र यतीम और यसीर लड़कीयों को रखा जाता है लेकिन दाख़िला के लिए कुछ शराइत हैं।