बैंगलौर 27 अक्तूबर (एजैंसीज़) कर्नाटक के गिरफ़्तार शूदा साबिक़ वज़ीर-ए-आला बी ऐस यदि यूरप्पा दीवाली अपने घर पर मनाएंगे या जेल में।
इस के बारे में अब तक सूरत-ए-हाल वाज़िह नहीं है। याद रहे कि कर्नाटक में दीवाली दो रोज़ 25 अक्तूबर (निरा का चतुरशि) और 27 अक्तूबर (बाली पद यामी) के तौर पर मनाई जाती है हालाँकि यदि यूरप्पा के वकील ने उन की उबूरी रिहाई केलिए दरख़ास्त का इदख़ाल किया है ताकि वो भी अपने अरकान ख़ानदान के साथ कम से कम एक हफ़्ता गुज़ार सकें और दीवाली के तहवार से महज़ूज़ हो सकें।
यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि दीगर मुल्ज़िमीन के बरअक्स, यदि यूरप्पा ने अपनी ज़मानत पर रिहाई केलिए दो दरख़ास्तों का इदख़ाल किया है। पहली दरख़ास्त उबूरी ज़मानत केलिए है जबकि दूसरी दरख़ास्त मुस्तक़िल ज़मानत के लिए है।
उबूरी ज़मानत केलिए दरख़ास्त इस लिए दाख़िल की गई है क्योंकि मुस्तक़िल ज़मानत की दरख़ास्त पर समाअत वक़्त तलब होती है।
याद रहे कि यदि यूरप्पा के ख़िलाफ़ बदउनवानीयों और आराज़ीयात के गै़रक़ानूनी सौदों पर बैंगलौर के दो वुकला सर उज्जैन भाषा और के इन बलराज ने जनवरी में अर्ज़दाशत दाख़िल की थी और उन के कौंसल यदि यूरप्पा को उबूरी ज़मानत दिए जाने की भी मुख़ालिफ़त कर रहे हैं।
लिहाज़ा ज़रूरत इस बात की है कि यदि यूरप्पा की दरख़ास्त ज़मानत पर अदालत आजलाना समाअत करे क्योंकि दीवाली की तातीलात के बाद आइन्दा समाअत सिर्फ़ 28 अक्तूबर को ही मुम्किन हो सकती है।