यमन: देश के राष्ट्रपति अब्दुल रब्बा मंसूर हादी ने अपने एक बयान में कहा है कि ईरान उनके मुल्क को किराए के हत्यारों से तबाह कर रहा है। उन्होंने कहा कि तेहरान, हमारे अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। इससे यमन के हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं।
हादी ने कहा कि हम यमन को ईरान के चंगुल से आजाद कराना चाहते हैं। ईरान इस समय राजधानी सना पर काबिज हूति विद्रोहियों की मदद कर रहा है और संकट के समाधान के प्रयासों को विफल बनाने की कोशिश कर रहा है। मंसूर हादी ने अपना यह वक्तव्य संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए दिया। उनका कहना था कि अपदस्थ राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह और हूति विद्रोहियों ने मिलकर यमन को बेमतलब के युद्ध में उलझा रखा है।
उन्होंने ईरान पर आरोप लगाया कि वह उग्रवाद, आतंकवाद और सांप्रदायिकता को समर्थन दे रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यमनी हुकूमत ने शांति बहाली के बहुत प्रयास कर रही है, मगर हूति और अली अब्दुल्ला सालेह के लड़ाकू लूट-मार पर आमादा हैं। एक तरह से उन लोगों ने मिलकर यमन पर युद्ध थोप कर रखी है। उन्होंने आरोप लगाया कि विद्रोही लड़ाकूओं ने शहरों को घेर रखा है और आए दिन बेगुनाह लोगों का क़त्ल कर रहे हैं। मंसूर हादी ने कहा कि हम अभी भी हूतियों और सालेह के समर्थकों से आशा करते हैं कि वे सीधे रास्ते पर आ जाएं। हमने विद्रोदियों को कई बार बुलावा भेजा है कि वह वफादारी के साथ देश की भलाई में काम करें। उन्होंने इस बात जोर देकर कहा कि शांति के दौर में, हम आतंकवाद के उन्मूलन के लिए पूरी तरह तैयार हैं, पर हूति के निजी और सरकारी संसाधनों पर कब्जे को किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं करेंगे।
राष्ट्रपति मंसूर हादी ने अपने संबोधन में सभी पक्षों से आग्रह किया कि वे यमन को एक सहयोगी लोकतंत्र बनाने में मदद करें। हादी ने सालेह लड़ाकुओं और हूति विद्रोही पर आरोप लगाया कि यमन में आतंकवाद के मूल कारण वही लोग हैं। इतना ही नहीं उन्होंने इन दोनों संगठनों की तुलना आईएसआईएस की। हाल ही में यमन के केंद्रीय बैंक को राजधानी सना से हटाकर अदन ले जाने का जिक्र करते हुए हादी ने कहा था कि इस प्रयास का मकसद बचे हुए सरकारी ढांचे को सुरक्षित बनाना है। उन्होंने स्वतंत्र देशों और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं से अपील किया था कि यमन की अर्थव्यवस्था को संभालने में मदद करें। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में यमन को सहायता देने वाले देशों से कहा कि सभी सहयोग देश उन वादों को पूरा करें जिनका वादा उन्होंने किया है।