यमन ज़ंग: क्या दिन- ब- दिन पराजित हो रही है सऊदी अरब?

यमन में जो कुछ पिछले चार साल से हुआ और हो रहा है उसमें सभी रेडा लाइनें नज़रअंदाज़ कर दी गई हैं। इतिहास में कभी एसा नहीं हुआ कि यमन पराजित हुआ हो।

इतिहास में जहां कहीं भी यमन युद्ध दर्ज हुआ है वहां यमन की विजय की कहानी लिखी गई हैं। सऊदी गठबंधन ने इतिहास का यह पाठ नहीं पढ़ा और यमन पर हमला कर दिया मगर यह ठोस सच्चाई है कि सऊदी अरब को कोई कामयाबी नहीं मिली।

यमन पहले दिन से शांतिपूर्ण समाधान के लिए तैयार था मगर युद्ध में जब लगातार हमलावरों को विफलता मिली तो अब अमरीका ने भी शांतिपूर्ण समाधान की बात शुरू कर दी है। अमरीकी थिंक टैंक ने अपने अध्ययन में यह पाया कि सऊदी अरब और इमारात वास्तव में यमन में त्रासदीजनक रणनीति पर काम कर रहे हैं।

यह बात बिल्कुल सही है उन्होंने यमन में आम नागरिकों को भारी नुक़सान पहुंचाया है लेकिन इस युद्ध में उन्हें किसी तरह की कोई सफलता नहीं मिल सकी है। यदि यह युद्ध जारी रहता है तब भी सऊदी गठबंधन को किसी भी मोर्चे पर कोई सफलता मिलने वाली नहीं है।

सऊदी अरब की हालत यह है कि उसे तैरना नहीं आता और वह यमन में बहाव के विपरीत दिशा में तैरने की कोशिश कर रहा है। नतीजा यह निकला है कि इस जुनूनी जंग पर सऊदी अरब अपने अरबों डालर बर्बाद कर चुका है। सऊदी अरब इस युद्ध में काल्पनिक दुशमन से लड़ रहा है जिसका हौवा अमरीका ने खड़ा किया ताकि वह सऊदी अरब को हथियार बेच सके।

सऊदी अरब ने यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन को ख़त्म कर देने का संकल्प करके यमन पर 2015 में युद्ध शुरू किया हालांकि उसे अच्छी तरह पता था कि यह बहुत ख़तरनाक अभियान होने के साथ ही असंभव भी है इस लिए कि अंसारुल्लाह आंदोलन यमन के इतिहास में समाज और राजनीति का एक मान्य घटक रहा है।

इस संगठन ने न तो कभी यमन के लिए और न ही पड़ोसी देशों के लिए कोई ख़तरा उत्पन्न किया। आंदोलन ने हमेशा राजनैतिक तथा अन्य मंचों पर सार्थक साझेदारी की है। मगर सऊदी अरब की ज़िद है कि उसे यमन के ख़िलाफ़ युद्ध जारी रखना है।

एसा लगता है कि युद्ध अपनी समाप्ति के क़रीब पहुंच गया है और यमन पर हमला करने वाले गठबंधन में शामिल किसी भी देश को कोई विजय नहीं मिल सकी है जबकि इस युद्ध में नैतिक और राजनैतिक स्तर पर यमन को बड़ी सफलता मिली है।

हुदैदा में जो कुछ हुआ उससे शायद यमन युद्ध और भी जल्दी रुक जाए। अब हालात एसे नहीं हैं कि ख़बरों को छिपाया जा सके। ख़बरें बहुत तेज़ी से दुनिया भर में फैल जाती हैं।

यमन में सऊदी अरब को कोई सफलता नहीं मिल पायी हां उसकी दरिंदगी ज़रूर सामने आ गई और वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या के बाद तो इस दरिंदगी पर सारी दुनिया में बहस छिड़ गई है।

सऊदी अरब अपने मीडिया में विजय की बातें कर रहा है मगर यह खोखली विजय और खोखला दावा है इसका ज़मीन पर कहीं कोई नामो निशान नहीं है। कुछ मीडिया चैनल तोते की तरह सऊदी अरब की विजय की बातें कर रहे हैं जैसे उन्हें यही एक वाक्य रटा दिया गया हो।

साभार- ‘parstoday.com’