यरुशलम फलस्तीन की राजधानी है, अमेरिका दूतावास खोलकर इसे नहीं बदल सकता- एर्दोगन

दो हफ्ते पहले यूएस एम्बेसी के जेरुसलम में स्थान्तरित होने के बाद मिडिल ईस्ट में एक नया विवाद पैदा हुआ था। जगह-जगह अमेरिका के इस फैसले की निंदा की गयी।

यूएस एम्बेसी के इस फैसले के विरोध करने में तुर्की ने अहम् भूमिका निभाई थी। तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान ने इस फैसले के विरोध के लिए ओआईसी की एक बैठक भी आयोजित की थी। जिसमे मुस्लिम देशों के कई नेताओं ने भाग लिया था।

मिडिल ईस्ट मॉनिटर की खबरों के अनुसार कल शुक्रवार को एक इंटरव्यू में तुर्की के राष्ट्रपति रसेप तय्यिप एर्दोगान ने यूएस एम्बेसी के जेरुसलम में स्थान्तरित होने पर कहा कि यरूशलेम फिलिस्तीन राज्य की राजधानी है और अमेरिकी दूतावास का स्थानांतरण इस तथ्य को नहीं बदलेगा।

एर्दोगान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को संबोधित करते हुए यह भी कहा की हर कोई बहुत अच्छी तरह से जानता है कि यरूशलेम फिलिस्तीन की राजधानी है इसलिए इस बात को अमेरिका द्वारा अस्वीकार किये जाने से कुछ भी नहीं होगा।

तुर्की प्रेसिडेंट यह भी कहा की पिछले शुक्रवार को इस्तांबुल में आयोजित इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) की असाधारण बैठक को फिलीस्तीनियों का समर्थन करने और उनके खिलाफ इजरायली आक्रामकता को खारिज करने के महत्वपूर्ण प्रस्तावों की एक श्रृंखला के साथ निष्कर्ष निकाला गया था।

हमने इज़राइल के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों और फिलीस्तीनी क्षेत्रों में अवैध निपटान गतिविधिके लेख सहित 30 प्रस्तावों की एक सूची की घोषणा की है। इंटरव्यू के दौरान एर्दोगान ने अन्य अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और घरेलू मुद्दों पर भी चर्चा की।