यला रेडडी के हॉस्टलों में बुनियादी सहूलतों का फ़ुक़दान

हुकूमत ने ग़रीब तलबा को तालीम से आरास्ता करने केलिए तालीम के साथ साथ रिहायशी हॉस्टलों का क़ियाम करके मुफ़्त ताम दूसरी सहूलतें देते हुए अपना बेहतर मक़सद ज़ाहिर किया है लेकिन अमली तो पर देखा जाय तो रिहायशी हॉस्टलों से हुकूमत का सौतेला सुलूक देखने में आया है।

मुस्तक़िल इमारतें ना होने से तलबा जियादा मुशकिलात सामना कररहे हैं। यला रेडडी मंडल मुस्तक़र पर बी सी गर्लज़ रिहायशी हॉस्टल किराया की इमारत में चलाया जा रहा है जहां 52 तालेबात रह रही हैं लेकिन उन्हें ना हाजात केलिए सहूलत है और ना नहाने केलिए कोई इंतेज़ाम है।

पेचले साल तालेबात को कपड़े सरबराह(देना) किए गए लेकिन संदूक़ें आज तक नही दीए। ये बी सी गर्लज़ हॉस्टल में तंग कमरे तालेबात की दुशवारीयों में मज़ीद इज़ाफ़ा करते हैं और अगर बारिश हो तो छत से पानी टपकना भी जारी रहता है।

मंडल लिंगम पेट मुस्तक़र पर भी बी सी रिहायशी हॉस्टल के तलबा मसाइल का सामना कररहे हैं। इमारत बोसीदा होने पर छत से पानी कसरत (ज़ियद‌)से गिरता है। पाँच साल से तलबा केलिए कोई संदूक़ सरबराह नहीं हुए जिस में वो अपने कपड़े महफ़ूज़ (हिफज़त)रख सकें। दीगर चार्जस चार माह में एक मर्तबा अदा किए जा रहे हैं और कपड़े भी मुकम्मल तलबा को सरबराह नहीं किए गए।

फ़िलवक़्त रिहायशी हॉस्टल की मरम्मत (बानना)केलिए एक लाख 72हज़ार रुपय मंज़ूर होने पर काम चल रहा है। मंडल नागी रेडडी पेट मुस्तक़र पर सोश्यल वेल्फारे रिहायशी हॉस्टल में भी सहूलतों नही है। तीन साल से बैत उल-ख़ला, तहारत ख़ाने, आबी(पानी) सहूलत ना होने पर बे कार पड़े हैं जब के ये लाखों रुपय से तामीर किए गए।तलबा को कपड़े, बलानकटस, गिलास, संदूक़ वग़ैरा सरबराह नहीं किए गए जिस की वजह से ग़रीब तलबा अपने ही पैसा से अपनी ज़रूरीयात पूरे करने पर मजबूर हैं।

मंडल ताड़वाई मुस्तक़र के आंध्र प्रदेश सोश्यल वेल्फारे गर्लज़ हॉस्टल में पांचवें जमात से एंटर साल अव्वल के तालेबात तक तालीम हासिल करने वाले क़ियाम (रहना)कररहे हैं। यहां पर कमरे बराबर मौजूद हैं लेकिन उन की खिड़कियों को दरवाज़े नहीं हैं जिस की वजह से बारिश होने पर मुश्किलात पेश आती हैं।

इन दिनों ज़िला कलैक्टर श्रीमती क्रिस्टीना के दौरा पर हॉस्टल में सहूलतों से वाक़िफ़ करवाया गया लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हव‌। मंडल सदाशीव नगर के अपलवाई एससी रिहायशी हॉस्टल में 100तलबा क़ियाम पज़ीर हैं जिन्हें आज तक कपड़े, बयागस वग़ैरा सरबराह नहीं किए गए जब के नगर इनकार ओहदेदार रोज़ाना आकर रिहायशी हॉस्टल का मइना करते हैं लेकिन मसाइल जूं के तूं (जयसे के वेसे )बरक़रार हैं।

मंडल गंधारी के एसटी रिहायशी हॉस्टल में भी तलबा को मसाइल का सामना है। तलबा को पानी की क़िल्लत, बैत उल-ख़ला, तहारत ख़ाने वग़ैरा की मुश्किलात बरक़रार हैं और हुकूमत ने गुज़श्ता छः साल से संदूक़ सरबराह नहीं किए। इन तलबा को खाने के काबिल ग़िज़ा भी मयस्सर नहीं और ना उन्हें पेट भर ग़िज़ा मिलती है।

कमरों के दरवाज़े ना होने पर वो ग़ैर महफ़ूज़ हैं। इस तरह यला रेडडी हलक़ा के छः मंडलों में रिहायशी हॉस्टलों में बुनियादी जरूरतों का फ़ुक़दान देखने में आया है जो तलबा ओ- तालिबात की तालीम पर मनफ़ी(खराब) असर डाल सकता है।

हुकूमत तालीम के नाम पर करोड़ों का फ़ंड इसतेमाल कररही है फिर भी आज कई रिहायशी हॉस्टलों में सहूलतों नाही है। हुकूमत जल्द अज़ जल्द तमाम रिहायशी हॉस्टलों के मसाइल हल करती है तो तलबा ओ‍ तालीबात के तालीमी हौसला को मज़ीद(ज़ियद‌) तक़वियत (सुकून)मिलेगी।