रांची 23 जुलाई : मुफाद के लिए कुदरत से छेड़छाड़ का खौफनाक तनीजा होता है। उत्तराखंड की वाकिया इसका वाजेह सबूत है। खौफनाक तबाही के बावजूद नदियों के किनारे कब्जा और तामीर की वाकियात में कमी नहीं आयी है। झारखंड में भी नदियों पर कब्जा करने वालों की कमी नहीं है। हरमू नदी किनारे तामीर कामों की वजह कई जगह तो इसका वजूद खतरे में पड़ गया है। नदी सिमट कर नाले में तब्दील हो गयी है। नदी के किनारे सैकड़ों अपार्टमेंट बन गये हैं। नये तामीर हो रहे हैं। जगह-जगह नदी के बहाव इलाके को घेर कर बाउंड्री वाल का भी तामीर कर दिया गया है। सब कुछ जानते हुए जिला इंतेजामिया और म्युन्सिपल कॉर्पोरेशन के अफसर खामोश हैं।
हरमू नदी की लंबाई 12 किलोमीटर है। भट्ठा मोहल्ला हरमू से लेकर अरविंदोनगर तक यह शहरी इलाके में बहती है। इसके बहाव इलाके में कई मुकामात पर क़ब्ज़ा किया गया है। विद्यानगर, श्रीनगर के पास के इलाके में नदी से सटकर तामीर काम किये गये हैं। विद्यानगर पुल के पास नदी के किनारे पर स्कूल भी है। खटाल भी बन गये हैं। पुल के दूसरी तरफ नदी से सटा हुआ एक छोटा मंदिर भी है।
बरसात में इन इलाकों में पानी भर जाता है। बारिश की वजह से विद्यानगर और श्रीनगर के इलाके में दो साल पहले कई घरों को नुकसान भी पहुंचा था। नेजामनगर, खेत मोहल्ला में नदी के बहाव इलाके में एक आंगनबाड़ी सेंटर और पावरोटी फैक्ट्री भी चलती है। हिंदपीढ़ी के निचले इलाके (जहां नदी का बहाव इलाका है) में भी बरसात के दौरान पानी घरों में घुस जाता है। कडरू में जानकी स्टील मोड़ के पास पन्ना एनक्लेव अपार्टमेंट को नाले से सटाकर बनाया गया है। अपार्टमेंट की वजह से पानी निकलने का रास्ता कम हो गया है। भारी बारिश में यहां कभी भी हादसा हो सकता है। इसके अलावा कडरू में ही सुनहरी गली के निचले इलाके में तामीर काम किया जा रहा है। यह इलाका भी नदी का बहाव इलाका है।