यहां सिर्फ चढ़ते सूरज को सलाम किया जाता है : सुधीर

बी क्लास फिल्मों से अपना कैरीयर शुरू करने वाले फ़िल्म अदाकार (नायक) सुधीर ने एक हालिया मुलाक़ात के दौरान बताया कि इनकी फ़िल्मी मसरुफ़ियात ( कारोबार) नहीं के बराबर है । सुधीर को देवानंद की फ़िल्म गैम्बलर शशी कपूर की एक श्रीमान एक श्रीमती और शम्मी कपूर की प्रिंस में अहम रोल दीए गए थे ।

बादअज़ां उन्होंने वीलेन के तौर पर अपनी मुनफ़रद शनाख़्त ( पहचान) बनाई। खोटे सिक्के में इन की अदाकारी को बेहद सराहा गया था । इलावा अज़ीं ( इसके अतिरिक़्त्/इलावा) पुरानी फ़िल्म हक़ीक़त में उन पर फ़िल्माए गए गाने में ये सोच कर इस के दर से उठा था को लोग आज भी पसंद करते हैं जिसे मरहूम मुहम्मद रफ़ी ने लाज़वाल कर दिया ।

सुधीर को फ़िरोज़ ख़ान की फ़िल्म धर्मात्मा और अमिताभ बच्चन की फ़िल्म दीवार में भी अहम ( मुख्य) रोल दिए गए थे । उन्होंने कहा कि बाबी दयोल की हमराज़ के बाद उन के पास फिल्मों के ऑफर्स नहीं आए । उन्हें फ़िल्मी दुनिया से कोई शिकायत नहीं क्योंकि वो ये बात बख़ूबी जानते हैं कि यहां चढ़ते सूरज को सलाम किया जाता है ।