यहां हिंदू-मुस्लिम मिल कर मनाते हैं मुहर्रम, अंगारों पर चलकर करते हैं मातम का इजहार

लखनऊ: यूपी के बाँदा में हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हुए हिनदू मुसलमान मुहर्रम का त्यौहार एक साथ मानते हैं.बताया जाता है कि यहाँ मुहर्रम की शुरुआत पुणे से आए एक मराठा परिवार ने की थी,यहाँ स्थित रामा का इमामबाड़ा का स्थापना एक हिन्दू परिवार ने की थी.यह बाँदा का पहला इमामबाड़ा भी है,यहाँ मुहर्रम हिन्दू और मुस्लमान दोनों साथ ही मानते हैं.चाहे आग के अंगारों पर चलने की बात हो या ढाल उठाने की, दोनों ही मुहर्रम में शरीक होते हैं.अज यह अपने आप में हिन्दू-मुस्लिम एकता की बहुत बड़ी मिसाल है.

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ETV के अनुसार,इन इमामबाड़ों में बाँदा का इमामबाड़ा सबसे पुराना और एतिहासिक है.इसकी स्थापना 1750 में पुणे से आये मराठा ठाकुर रामा जी ने की थी, और पहली बार इमाम हुसैन की याद में ढाल उठाई थी.तब से लेकर आज तक हिन्दू और मुस्लिम आपस में मिलकर मोहर्रम का त्यौहार साथ में मानते हैं.राम जी के वंशज आज भी इस पारम्परा को बनाये हुए हैं.

मुहर्रम के दस दिनों तक इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम किया जाता है.इस वाकये की याद में मुहर्रम मनाया जाता है. इमामबाड़ों में ढोल और ताज़या रख कर मातम किया जाता है.