फ्लोरिडा: अमरीका में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नया विवाद सामने आया है। यह विवाद एक मस्जिद को मतदान केंद्र बनाने जाने के कारण हुआ है। गैर मुस्लिम समुदाय ने इस फ़ैसले का विरोध किया था जिसे बाद इस फैसले को वापस लिए जाने पर मुस्लिम समुदाय नाराज़ है। यह पूरा मामला अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य पाम बीच काउंटी का है। वहां एक इस्लामिक सेंटर है। जिसका इस्तेमाल मस्जिद के अलावा भी अनेक कार्यों के लिए किया जाता है।
राज्य के चुनाव प्रशासन ने मस्जिद प्रशासन से मस्जिद को मतदान केंद्र बनाने का अनुरोध किया करते हुए एक अधिसूचना जारी किया था। इसके विरोध में ग़ैर मुस्लिम समुदाय द्वारा मिली शिकायतों के बाद राज्य प्रशासन ने मस्जिद को मतदान केंद्र बनाने का फैसला वापस लिया था। वहीँ इसके ठीक उल्ट विभिन्न धर्मों के नेताओं के गठबंधन ‘इंटर फेथ कलरजी कोइलेशन’ ने भी प्रशासन के इस फ़ैसले की कड़ी निंदा की है।
इस्लामिक सेंटर का निर्माण साल 2000 में हुआ था। एक इस्लामिक सेंटर है। जिसका इस्तेमाल मस्जिद के अलावा भी स्कूल जैसे अनेक कार्यों के लिए किया जाता है।फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इस्लामिक सेंटर के संस्थापक बासिम अलहलाबी ने बताया, “प्रशासन की ओर से अधिकारी मस्जिद में आए थे। उन्होने तय किया कि इस्लामिक सेंटर के रिसेप्शन में मतदान केंद्र बनाए जाएंगे”।
बासिम अलहलाबी ने बताया कि इसके बाद हमने तुरंत मतदाताओं के खाने-पीने के बंदोबस्त को लेकर तैयारियां शुरू कर दी।
लेकिन इसके बाद कुछ ग़ैर मुस्लिम मतदाताओं ने प्रशासन को फोन करके शिकायत की कि वे लोग मस्जिद के अंदर जाने से डरते हैं. कुछ ने तो मतदान रोकने की धमकी भी दे डाली. इसके बाद ही प्रशासन ने फ़ैसला वापस ले लिया।
वे अफसोस जाहिर करते हुए पूछते हैं, “अगर मुसलमान चर्च में जाकर वोट डाल सकते हैं तो यहूदी या ईसाई मस्जिद में आकर वोट क्यों नहीं डाल सकते?
फ्लोरिडा में धार्मिक सद्भाव के लिए काम कर रहे संगठन ‘इंटर फेथ कलरजी कोइलेशन’ के अध्यक्ष डेविड स्टेन हार्ट प्रशासन के इस फ़ैसले की निंदा करते हैं।
यहां की एक और रहवासी ऐनी हयात का कहना है, “कुछ ख़ास तरह के समूह हैं जो मस्जिद, मुस्लिम या हिजाब नहीं देखना चाहते. जब पाकिस्तान जाती हूं तो वे मुझे मेरा घर नहीं लगता क्योंकि मैं वहां कभी अधिक समय नहीं रही. वहां मेरे रिश्तेदार मेरे उर्दू उच्चारण का मज़ाक उड़ाते हैं लेकिन जब अमरीका में भी लोग भेदभाव करते हैं तो मुझे लगता है कि मेरा इस दुनिया में कोई घर है ही नहीं”।
राजनीतिक वोशेषज्ञों का कहना है कि 2016 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में धर्म के नाम पर भेदभाव या पूर्वाग्रह साफ तौर पर देखा जा सकता है। इससे अमरीकी समाज के दो हिस्सों में बंटने की चिंता बढ़ गई है।