याद आए नीतीश को लालू, नीतीश-लालू की दोस्ती

बिहार की सियासत ने एक बार फिर करवट ली है और जैसे आसार नजर आ रहे हैं, उसकी बुनियाद पर यह कहा जा सकता है कि अगले विधानसभा इंतिख़ाब में जदयू-राजद एक साथ इंतिखाबी मैदान में ताल ठोकेंगे। राज्यसभा जमनी इंतिख़ाब के लिए नीतीश कुमार ने लालू यादव से हिमायत मांगा है, साथ ही उन्होंने यह दरख्वास्त भी किया है कि वे बिहार में जदयू की मांझी हुकूमत को अपना हिमायत जारी रखें।

नीतीश ने लालू से फोन पर की बात, मांगा रास इंतिख़ाब के लिए हिमायत

लोकसभा इंतिख़ाब में जदयू की जैसी फजीहत बिहार में हुई उसके बाद नीतीश कुमार ने एखलाकी जिम्मेदारी लेते हुए वजीरे आला ओहदे से इस्तीफा दे दिया था, उस वक्त राजद की तरफ से लालू यादव ने यह ऐलान की थी कि फिरका परस्त ताकतों को इक्तिदार से दूर रखने के लिए वे जीतनराम मांझी की हुकूमत का बिहार में हिमायत करेंगे। उसी वक्त यह बात साफ हो गयी थी कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार और लालू यादव एक साथ सियासत करेंगे।

आज नीतीश कुमार ने जिस तरह लालू से जदयू के लिए हिमायत मांगा, उससे यह बात पुख्ता हो गयी। चूंकि सियासत में कोई किसी का मुस्तकबिल दोस्त या दुश्मन नहीं होता है, इसलिए मुमकिन है कि नीतीश और लालू यादव फिर एक साथ सियासत करें। बिहार में अगला विधानसभा इंतिख़ाब अगले साल 2015 में होने वाला है। इस इंतिख़ाब के लिए तमाम पार्टियों ने कमर कस ली है। बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं बहुमत के लिए जादुई अदाद 122 है। इस जादुई अदाद को हासिल करने के लिए हर पार्टी और इत्तिहाद जोर लगायेंगे। लोकसभा इंतिख़ाब में मिली जबरदस्त जीत से खुश भाजपा इस बार यह कोशिश करेगी कि वह अपने दम पर बिहार में हुकूमत बना ले। इसके लिए भाजपा ने तैयारी भी शुरू कर दी है।

हालांकि भाजपा ने अभी यह वाजेह नहीं किया है कि अगर पार्टी को अकसरियत मिलता है, तो कौन बिहार का वजीरे आला होगा। भाजपा इस बार इंतिख़ाब जमीनी सतह से लड़ना चाहती है और इसके लिए सुशील मोदी की कियादत में पार्टी ने कमरकस ली है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बार भाजपा का जदयू से इत्तिहाद नहीं है उसे लोकजनशक्ति पार्टी का साथ मिला है। लेकिन लोजपा की पकड़ बिहार में कुछ खास नहीं है।