नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के साबिक़ जज रिटायर्ड जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने आज कहा कि इंसाफ़ के साथ सख़्त नाइंसाफ़ी याक़ूब मैमन के मुक़द्दमा में हुई है। काटजू ने फ़ैसले के मुहतात मुताला के बाद कहा कि अदालत को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिस से याक़ूब मैमन मुजरिम साबित होसके।
अगर कोई सबूत है भी तो इंतेहाई कमज़ोर है। उन्होंने कहा कि मुआविन मुजरिम के एतराफ़-ए-जुर्म और इस के क़बज़े से मुबय्यना तौर पर अशीया की दस्तयाबी को सबूत क़रार दिया जा रहा है। एतराफ़-ए-जुर्म से इन्हिराफ़ के बारे में उन्होंने कहा कि हर शख़्स जानता है कि पुलिस जुर्म का एतराफ़ अज़ियत रसानी के ज़रिए करवाती है।
श्रीनगर से मौसूला इत्तेला के बमूजब साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर जम्मू-कश्मीर उमर अब्दुल्लाह याक़ूब मैमन की सज़ाए मौत के बारे में बेहस में शामिल होगए। उन्होंने सवाल किया कि क्या याक़ूब मैमन महिकमा सुराग़ रसानी के साथ एक समझौते के बाद हिन्दुस्तान वापिस आया था।
अगर एसा हुआ है तो इसका इन्किशाफ़ किया जाये। वो ट्वीटर पर मुसन्निफ़ सुशील सेठ के इस मज़मून पर तबसेरा कररहे थे कि 1993के मुंबई धमाका मुक़द्दमे के मुजरिम के ख़िलाफ़ फ़ैसले को चैलेंज क्यों नहीं किया गया।