हैदराबाद: AIMIM अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड को थोपना भारत में मौजूद अलग अलग तहज़ीब की पहचान के लिए के लिए नुकसानदेह होगा।
वे आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा भारतीय विधि आयोग के परामर्श पत्र और प्रश्नावली के बहिष्कार के बारे में मीडिया से बात कर रहे थे |
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा भारतीय विधि आयोग के परामर्श पत्र और प्रश्नावली के बहिष्कार के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बोर्ड का सदस्य होने के नाते वे बोर्ड के फैसले का सम्मान करते हैं | लेकिन एक राजनैतिक पार्टी के रूप में वे इस प्रश्नावली का उत्तर देंगे क्योंकि यह प्रश्नावली यूनिफार्म सिविल कोड के पक्ष में भरी हुयी है |
उन्होंने कहा, “मैं लगातार कहता आ रहा हूँ और फिर से दोहराना चाहता हूँ कि यूसीसी हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है। इस देश में केवल एक ही संस्कृति या एक धर्म नहीं है। भारत में हर समुदाय और हर जाति, चाहे वह हिन्दू, मुस्लिम, दलित, ईसाई या सिख हो उसकी अपनी अलग संस्कृति है। यह देश संस्कृति और धर्म की इस विविधता को मनाता है। ”
उन्होंने पुछा कि मिताक्षारा और दयाभाग मतों के अनुसार विरासत क्या होनी चाहिए, क्या इस पर कभी एक समझोते पर पहुंचा जा सकता है?
श्री ओवैसी ने आगे कहा कि “क्या कोई संविधान द्वारा मिजोरम और नगालैंड को दिए गए सांस्कृतिक अधिकार छीन सकता है? हिंदू अविभाजित परिवारों को मिलने वाली कर छूट को मुसलमानों को देने से क्यों इनकार किया जा रहा है? ”
उन्होंने पूछा कि क्या यूनिफार्म सिविल कोड और धर्म की स्वतंत्रता से संबंधित मौलिक अधिकारों का पूरी तरह उल्लंघन में नहीं है?
उन्होंने कहा कि अपनी विफलताओं को छुपाने और लोगों के दिमाग से हटाने के लोगों के लिए सरकार यूसीसी को आगे कर रही है।