नई दिल्ली। मोदी सरकार ने लॉ कमीशन को कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को इसे लागू करने की दिशा में सभी पहलुओं की जांच करके एक रिपोर्ट तैयार करें. लॉ मिनिस्ट्री ने भी लॉ कमीशन से इस फैसले से जुड़े दस्तावेज की मांग की है. यूनिफॉर्म सिविल कोड जिस पर अबतक राजनीतिक दलों में आम सहमति नहीं बन पायी, उस पर अब मौजूदा सरकार एक मत बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. आजादी के इतने सालों के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब किसी सरकार ने लॉ कमीशन से रिपोर्ट तलब की है.
यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर कई गुट हैं. कई राजनीतिक पार्टियां इसके समर्थन में हैं तो कई पार्टियां इसका विरोध करती हैं. गौरतलब है कि यह मामला पहली बार 1840 में उठा था 1985 में यह मामला शाह बानो केस में एक बार फिर सुर्खियों आया. सुप्रीम कोर्ट ने बानो के पूर्व पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया. इतना ही नहीं कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पर्सनल लॉ में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए.
अब मोदी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड पर फैसले का मन बना रही है. आपको बता दें कि लॉ कमीशन की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बलबीर सिंह चौहान हैं. लॉ मिनिस्ट्री ने भी कमीशन से इस सिलसिले में हुए फैसलों से जुड़े डॉक्यूमेट्स की भी मांग की है.