यूनिवर्सिटी में चलती क्लास में छेड़खानी

मुजफ्फरपुर 4 जुलाई : बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी में बुध को फिर शर्मशार हुआ। मनचले नौजवानों ने तारीख महकमा की क्लास में घुस कर तालेबा के साथ छेड़खानी की। मुखालफत करने पर तालेबा के साथ मारपीट की गयी। इस सिलसिले में मक़्तुल तालिब इल्म ताल्बात ने महकमा इंचार्ज से शिकायत की। शिकायत के बाद महकमा इंचार्ज ने इसकी इत्तेला यूनिवर्सिटी थाना पुलिस और यूनिवर्सिटी इंतेजामिया को दी। डॉ विवेकानंद शुक्ला मौके पर पहुंच तालिब इल्म ताल्बात से वाकिया की जानकारी ली। उन्होंने जुमेरात से क्लास के दौरान महकमा के आसपास सिक्यूरिटी बढ़ाये जाने का भरोसा दिया।

दो महीने में तीसरी बार ज़ियादती

बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी में चलती क्लास में छेड़खानी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले गुजिस्ता छह मई को सेंट्रल लाइब्रेरी में चल रहे लाइब्रेरी साइंस की क्लास में घुस कर तालिब इल्म ने तालेबा के साथ रैगिंग की थी। इसमें दूर तालीम डायरेक्टरेट के रोजाना काम करने वाले अहलकार का भी नाम आया था। ताल्बात ने वालेदैन की मौजूदगी में सेंट्रल लाइब्रेरी के डायरेक्टर से इसकी तहरीरी शिकायत भी की थी। पर बाद मुलजिम तालिब इल्म के अवामी माफीनामे के बाद मामले को रफा-दफा कर दिया गया।

गुजिस्ता 15 मई को यूनिवर्सिटी अंगरेजी महकमा में भी आठ-दस की तादाद में मनचले क्लास में घुस गये और ताल्बात के साथ छेड़खानी की। मुखालफत करने पर ताल्बात की पिटाई भी की गयी। ताल्बात की शिकायत पर महकमा इंचार्ज ने इसकी इत्तेला यूनिवर्सिटी इंतेजामिया को दी, तब डॉ एके श्रीवास्तव ने यूनिवर्सिटी थाना इंचार्ज को ख़त लिख कर अंगरेजी महकमा के आस-पास क्लास के दौरान सिक्यूरिटी चौकसी बढ़ाये जाने की मांग की थी। कुछ दिनों तक यूनिवर्सिटी थाना मोबाइल ने क्लास के दौरान वहां गश्ती भी की। पर बाद में इसे भुला दिया गया।

नहीं दर्ज करायी सनाह

यूनिवर्सिटी में दो माह में तीन बार छेड़खानी की वाकिया हो चुकी है, लेकिन अभी तक एक भी मामले में एफआइआर नहीं दर्ज करायी गयी है। जब भी वारदात होती है, तब मामले को लेकर बहस होती है। कार्रवाई की बात की जाती है, लेकिन जैसे ही एक-दो दिन होते हैं, मामले को भुला दिया जाता है। इससे पहले जब लाइब्रेरी में छेड़खानी की वारदात हुई थी तो एक मुलाजिम का नाम भी सामने आया था, तब भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी। ऐसे में सवाल यह उठता है, इस तरह के संगीन मामलों में कार्रवाई करने से यूनिवर्सिटी इंतेजामिया क्यों बचना चाह रहा है?