नई दिल्ली: तीन तलाक के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किए जाने पर मुस्लिम संगठनों और व्यक्तियों की गंभीर प्रतिक्रिया जारी है साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा है कि अगर सरकार के पास यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का कोई मॉडल है, तो जनता के सामने लाए, अन्यथा बेवजह मुसलमानों को परेशान न करे।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार अब मुस्लिम संगठनों ने मोदी सरकार से यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का मसौदा सामने लाने के लिए कहा है। गौरतलब है कि भाजपा के फायर ब्रांड नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि अगर यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड पर मुस्लिम सहमत नहीं हुए, तो सरकार कानून बनाकर उन्हें लागू कर देगी। स्वामी के बयान पर फारूकी ने कहा कि स्वामी का क्या है, वह तो बोलते ही रहते हैं। वह तो नवंबर में राम मंदिर भी बनवा रहे थे, क्या हुआ उसका। स्वामी भूल रहे हैं कि यह देश मुसलमानों का भी है। मुख्य रूप से उनके कहने सुनने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। वह तो यह भी कह रहे थे कि मुसलमानों को वोट डालने का अधिकार नहीं दिया जाए। क्या स्वामी और उनके जैसे अन्य नेताओं के बयान सरकार की शह पर आ रहे हैं? इस सवाल के जवाब में फ़ारूक़ी सीधे तौर पर प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की शह पर भी हो सकता है, क्योंकि मुसलमानों के खिलाफ बोलने वालों और हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने वालों को प्रधानमंत्री ने राज्य सभा का टिकट दिया है।
गौरतलब है कि तीन तलाक और यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड पर मुस्लिम संगठनों और स्वयं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी प्रेस कांफ्रेंस करके अपना रुख स्पष्ट कर चुका है। हालांकि इस सवाल के जवाब में कई संगठन के नेताओं का अब अगला कदम क्या होगा, कमाल फारूकी ने कहा कि वर्तमान में रणनीति तैयार की जा रही है। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम जवाब जरूर देंगे।