यूपी गठबंधन की नाकाम कोशिशों के बाद कांग्रेस का चुनाव अभियान फिर से शुरू

फैसल फरीद

लखनऊ: अपनी गतिविधि में एक खामोशी के बाद कांग्रेस फिर से उत्तर प्रदेश में दलित यात्राओं के लिए सड़क पर उतरने के लिए योजना बना रही है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी की किसान यात्रा के 6 अक्टूबर को समापन के बाद लगभग एक महीने से कांग्रेसी खेमे की गतिविधियों में ख़ामोशी सी है. इस ख़ामोशी की वजह समाजवादी पार्टी सहित अन्य दलों के साथ गठबंधन के लिए विफल प्रयासों को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।

कांग्रेस के चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर ने मुलायम, शिवपाल और अखिलेश के साथ बैठक करके गठबंधन बनाने की कोशिश की थी। लेकिन उन प्रयासों का कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह के साफ़ कर दिया है कि उनका द्वार विलय के लिए खुला और वे गठबंधन नहीं चाहते हैं। कांग्रेस के पास अब कोई विकल्प नहीं है सिवाये इसके कि कांग्रेस अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाये। हालांकि कांग्रेस खुद उत्तर प्रदेश में एक छोटी सी पार्टी के रूप में सिमट गयी है।

अब पार्टी ने प्रदेश में दलित यात्राओं की योजना बनाई है जिसमें कई दलित नेता शामिल होंगे। राहुल के भी दलित यात्राओं का हिस्सा बनने की उम्मीद है। योजना बनाई जा रही है कि इस यात्रा में बड़ी दलित आबादी वाले कम से कम 1000 गांवों में पहुंचा जाए।

इससे पहले कांग्रेस जुलाई के अंत में अपने चुनावी अभियान को शुरू कर चुकी है। इसमें लखनऊ में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन जिसे राहुल ने संबोधित किया था, सोनिया गांधी का वाराणसी में रोड शो शामिल हैं। शीला दीक्षित, राज बब्बर, संजय सिंह, पी एल पुनिया, प्रमोद तिवारी और जितिन प्रसाद जैसे अन्य नेताओं ने भी इस दौरान अन्य जिलों का दौरा किया है।

इस बीच, दलित मतदाताओं को लुभाने के अपने एजेंडे को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने पूर्व सांसद बृजलाल खबरी को उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया है।

2017 के चुनावों में दलित वोट बैंक पर सभी पार्टियों की नज़र है. पहले से ही दलित मतदातों को लुभाने की योजना के साथ भाजपा दलित नेताओं के साथ बैठकें कर रही है. बसपा पहले से ही दलित वोटों के प्रति आश्वस्त है और अब कांग्रेस उनके विश्वास को हासिल करने के लिए कोशिशें कर रही है। उत्तर प्रदेश में 85 आरक्षित विधानसभा सीटें हैं।