लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में आज जिन 67 सीटों पर मतदान हो रहे हैं,उनमें से 34 सीटें इस समय समाजवादी पार्टी के पास, तीन कांग्रेस के पास और 10 बीजेपी के पास हैं. वहीँ 18 सीटें हासिल कर बहुजन समाज पार्टी दूसरे नंबर पर थी. इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और इस मुक़ाबले को बीजेपी ने त्रिकोणीय बना दिया है.
बीबीसी हिंदी के अनुसार, पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र से 10 सीटें ही मिल सकी थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव में उसने बदायूं को छोड़कर इलाक़े की सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐसे में समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों में ही अपनी प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है.
वरिष्ठ पत्रकार श्रवण शुक्ल के अनुसार “आमतौर पर दलित, पिछड़े और सवर्ण मतदाताओं में विभाजन की स्थिति चुनावों में बनती थी, लेकिन इस बार मुस्लिम मतदाताओं में भी वर्ग के अनुसार विभाजन हो रहा है.”
उनहोंने कहा कि पिछड़े वर्ग के मुसलमानों और उच्च वर्ग के मुसलमानों से हुई बातचीत के आधार पर ये कहा जा सकता है कि कई सीटों पर ये दोनों एक ही पार्टी या उम्मीदवार को वोट नहीं डाल रहे हैं. ऐसे में मतों के इस विभाजन का फ़ायदा किसे मिलेगा, ये कहना बड़ा मुश्किल है.”
इस चुनाव में कई स्थानीय मुद्दे भी उभर का सामने आरहे है, कई ऐसे इलाक़े हैं जहां स्थानीय स्तर पर छोटे मोटे उद्योग चला करते थे, लेकिन पिछले कई सालों से उनकी हालत ख़राब बताई जा रही है. जैसे बरेली में ज़री का काम होता है तो मुरादाबाद पीतल के सामान के लिए मशहूर है. यह सभी चुनावी मुद्दे चुनाव को प्रभावित कर सकते है. लेकिन मतदाता पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है. इस चरण के चुनाव में कई दिग्गज भी मैदान में हैं. इनमें सपा नेता आज़म ख़ान और स्वार सीट से चुनाव लड़ रहे उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म भी मैदान में हैं. वहीँ कांग्रेसी नेता जितिन प्रसाद, बीजेपी के विधायक दल के नेता सुरेश खन्ना और मौजूदा सरकार में मंत्री कमाल अख़्तर शामिल हैं.
बीजेपी के पास इस क्षेत्र में सांसदों की कमी नहीं है, पार्टी ने पीलीभीत की सांसद मेनका गांधी, बरेली के सांसद संतोष गंगवार और शाहजहांपुर से सांसद कृष्णाराज को मंत्री बनाकर क्षेत्र के लोगों का दिल जीतने की कोशिश की है.अब चुनाव में इन नेताओं का भी इम्तिहान होना है.